Tata और मिस्त्री परिवार के बीच है $29 बिलियन का विवाद…कब तक सुलझने के हैं आसार?

पिछली पांच पीढ़ियों और 157 सालों से मिस्त्री परिवार (Mistry Family) ने अपना कारोबार, महल, फैक्ट्री बनाने और एशिया में स्टेडिम बनाने तक फैलाया है.

यह साल शापूर मिस्त्री (Shapoor Mistry) के लिए बड़ा खराब रहा है. केवल तीन महीनों में अपने पिता और छोटे भाई को खोने के बाद, दुनिया के सबसे अमीर घरानों में से एक अब बड़ी बड़ी व्यापारिक चुनौती का सामना कर रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार,  पिछली पांच पीढ़ियों और 157 सालों से मिस्त्री परिवार ने अपना कारोबार, महल, फैक्ट्री बनाने और एशिया में स्टेडिम बनाने तक फैलाया है. ब्लूमबर्ग बिलियनर्स इंडेक्स के अनुसार, परिवार की $29  बिलियन की संपत्ति का 90 प्रतिशत भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूह, टाटा ग्रुप के साथ विवाद में फंसा हुआ है.

अब 57 साल की उम्र में मिस्त्री को देखना होगा कि वह इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं. कोरोना का व्यापार पर बड़ा प्रभाव पड़ा है.  कमजोर अर्थव्यवस्था का महौल है. ऐसे में देखना होगा कि शापूरजी पालोनजी समूह बढ़ती कर्ज की दरों के बीच कैश कैसे फ्री करवाते हैं. वो वकीलों से मिल रहे हैं और कन्सल्टेंट्स से मिल रहे हैं. इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि कुछ परिवार और दोस्तों ने सही समय आने पर, मध्यस्थता करने का प्रस्ताव दिया है.

मिस्त्री और टाटा – जो दोनों पारसी जोरोआस्ट्रियन समुदाय से संबंध रखते हैं. यह दोनों परिवार करीब एक सदी तक करीब रहे लेकिन फिर उनमें विवाद हुआ.

मिस्त्री की संपत्ति का 18 प्रतिशत भाग, टाटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड में परिवार के पास है. टाटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड, $128 बिलियन की बड़ी कंपनी है जो, जगुआर, लैंड रोवर जैसे ब्रांड्स की मालिक है.  दोनों पार्टियों में विवाद के अधिक बढ़ने का मतलब है कि मिस्त्री इन होल्डिंग को नहीं बेच सकते. इससे यह दुनिया में सबसे बड़ी ऐसी संपत्ति बन सकती है, जिसे भुनाया नहीं जा सकता.

शापूरजी मिस्त्री ने इस स्टोरी के बारे में टिप्पणी करने को मना कर दिया है.  टाटा ग्रुप में रतन टाटा के बाद शापूर मिस्त्री के दिवंगत छोटे भाई को चेयमैन बनाया गया था. सायरस ने ग्रुप का कर्ज तेजी से कम करने की कोशिश की. इससे केवल चार साल बाद, बोर्डरूम में सायरस मिस्त्री को पंसद नहीं किया गया और उन्हें अचानक बाहर होना पड़ा.

फिर दोनों परिवारों के बीच अदालत में लड़ाई हुई जो आखिरकार पिछले साल टाटा ग्रुप ने जीती. इसबीच टाटा सन्स ने अपना स्टेटस 2017 में प्राइवेट फर्म के तौर पर बदल लिया. अब मिस्त्री परिवार के लिए अपना भाग दूसरे निवेशक को बेचने में और भी मुश्किल हो गया है. जानकारों का कहना है कि मिस्त्री परिवार के लिए इस विवाद से निकलने में समय लग सकता है.

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