Pakistan Politics: इमरान खान के उलट शहबाज शरीफ अमेरिका के साथ चाहते हैं दोस्ताना संबंध, कहा- मुनासिब नहीं दुश्मनी मोल लेना

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जहां अपने हाथ से सत्ता जाने के पीछे विदेशी दखल बता रहे हैं वहीं नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अमेरिका के साथ दुश्मनी नहीं करने की बात कहते हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अमेरिका के साथ दुश्मनी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच नए संबंधों को विकसित करने की जरूरत है।

राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के बयान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री शरीफ ने  यूएस केबल की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन पर विचार करने की बात कही।  सुरक्षा आयोग ने इमरान खान के सत्ता से हटने के पीछे विदेशी साजिश की बात का पूरी तरह से खंडन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने के पीछे कथित विदेशी साजिश को लेकर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने देशव्यापी प्रदर्शन किया। बता दें कि इमरान ने सुप्रीम कोर्ट से यूएस केबल की जांच करने और खुली सुनवाई करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि एक बार जब शीर्ष अदालत अमेरिकी केबल की जांच करेगी, तो यह पता चलेगा कि तत्कालीन विपक्ष के नेता अविश्वास प्रस्ताव के दिनों में अकसर विदेशी राजनयिकों से मिलते थे।

इमरान खान ने इस कथित साजिश के बारे में कहा था कि तीन-चार माह पहले ही अमेरिकी अधिकारियों ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात शुरू कर दी थी। उन्होंने आगे कहा कि इन मुलाकातों के बाद जब अमेरिका के अधिकारी डोनाल्ड लू (Donald Lu) ने पाकिस्तानी राजदूत से मुलाकात की तब उन्हें इस बात की जानकारी थी कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होना है।इमरान खान ने यह भी आरोप लगाया था कि लंदन में बैठे – पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ, उनके भाई प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी सभी इस षड्यंत्र में शामिल थे।

भारत से साथ संबंधों को बेहतर बनाए पाक 

अमेरिका में लोकतंत्र समर्थकों के एक समूह ने पाकिस्तान की नई सरकार से भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की अपील की है। साथ ही यह भी कहा कि देश में जातीय और धार्मिक हिंसा पर अंकुश लगाया जाए।साउथ एशियन अगेंस्ट टेरेरिज्म एंड फार ह्यूमन राइट्स समूह की ओर से आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में यह मांग की गई। वक्ताओं ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार से बलूचिस्तान में शांति स्थापित करने की भी अपील की। समूह के सह-संस्थापक और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सेना का राजनीति में दखल और राजनीतिक फायदे के लिए धर्म का उपयोग होता रहेगा, तब तक इन समस्याओं से निजात नहीं मिलेगी। हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन के बजाय अपने पड़ोसी देश भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने चाहिए ताकि देश की अर्थव्यवस्था सुधर सके।

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