पाकिस्तानः शहबाज़ शरीफ़ कब तक रह पाएँगे प्रधानमंत्री?
पाकिस्तान में पिछले एक हफ़्ते में तेज़ी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद शहबाज़ शरीफ़ देश के अगले प्रधानमंत्री चुन लिए गए हैं.
सोमवार को कई दलों की ज़बरदस्त लामबंदी के चलते वो इमरान ख़ान को पीएम पद से हटाने में कामयाब हुए. पाकिस्तान की संसद में हुए बहुमत परीक्षण के दौरान उन्होंने 174 वोट लाकर जीत दर्ज की.
इससे पहले रविवार तड़के अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान के बाद इमरान ख़ान को पीएम पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
शहबाज़ शरीफ़ के मुक़ाबले इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) ने शाह महमूद क़ुरैशी को अपना उम्मीदवार बनाया था.
हालांकि सोमवार को हुए मतदान से ठीक पहले उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. उसके बाद पीटीआई ने मतदान के दौरान सदन की कार्रवाई का बहिष्कार किया.
शहबाज़ शरीफ़ के पीएम बन जाने के बाद अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान की नई सरकार कैसी होगी?
क्या उनकी सरकार मज़बूत साबित हो पाएगी और क्या वो नेशनल असेंबली के बचे हुए डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा कर पाएगी? या चुनाव करवाने की सूरत यदि बनी तो क्या अच्छे से चुनाव हो पाएगा?
हालांकि इन सभी सवालों का संक्षिप्त जवाब तो यही है कि नई सरकार के लिए सत्ता कांटों की सेज होगी.
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस या पीडीए के नाम से बने नए सत्ताधारी गठबंधन की सबसे पहली और अहम चुनौती तो यही है कि वो नेशनल असेंबली का बचा हुए क़रीब डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा कर लें.
ताज़ा राजनीतिक संकट से पहले, इमरान ख़ान सरकार ने योजना बनाई थी कि देश की आज़ादी के 75 साल पूरा होने के समय यानी अगस्त 2022 में देश में फिर से जनगणना कराई जाए, ताकि आने वाला चुनाव बेहतर तरीक़े से पूरा हो पाए.
लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा? चुनाव सुधार और नए चुनावों की तैयारी भी नव-निर्वाचित सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.
अपनी राजनीतिक भविष्यवाणियों के लिए पहचाने जाने वाले शेख़ रशीद ने इमरान ख़ान सरकार में गृह मंत्री की हैसियत से कुछ दिनों पहले कहा कि वो अगस्त-सितंबर में आम चुनाव होता हुए देख रहे हैं. वैसे उनकी भविष्यवाणियां अकसर ग़लत साबित हुई हैं.
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक इरफ़ान सिद्दीक़ी का कहना है कि नए सत्ताधारी मोर्चे ने अपनी पहली कामयाबी हासिल कर ली है और जो गठबंधन बना है, वो अगले 6-8 महीने में चुनाव सुधार कर नए चुनाव कराने के लिए ही बनाया गया है.