अमेरिका को नाराज़ कर क्या ईरान से भी रूस की तरह तेल ख़रीदेगा भारत

ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाह बुधवार सुबह तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे हैं.

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब बीजेपी के दो प्रवक्ताओं की पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के कारण भारत सरकार मुस्लिम देशों की नाराज़गी झेल रही है. हालाँकि बीजेपी ने अपने दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से निकाल दिया है.

ईरान ने इस मामले में भारतीय राजदूत को तलब करके अपना विरोध दर्ज कराया था. ऐसे में ईरानी विदेश मंत्री के दिल्ली दौरे को काफ़ी अहमियत के साथ से देखा जा रहा है.

ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, इस यात्रा का उद्देश्य दोनों मुल्कों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों एवं अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए रणनीतिक विचार-विमर्श करना है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट करके कहा है कि “ये यात्रा हमारे ऐतिहासिक संबंधों और साझेदारी को और बढ़ावा देगी.”

अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि इस यात्रा के दौरान ईरान से तेल ख़रीदने के मुद्दे पर कोई ठोस फ़ैसला लिया जाएगा या नहीं.

लेकिन साल 2019 से पहले तक ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था. अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत ने ईरान से तेल ख़रीदना बंद कर दिया था.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मौजूदा तनाव के बीच भारत आए ईरानी विदेश मंत्री के साथ तेल ख़रीद के मुद्दे पर कोई कारगर बातचीत हो सकती है.

बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने 26 मई को एक टीवी कार्यक्रम के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी.

इसके बाद दर्जन भर से ज़्यादा इस्लामिक देशों ने इस पर आपत्ति जताई थी. लेकिन ईरान ने भारतीय राजदूत को तलब करके अपना विरोध दर्ज कराया था.

ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि इस विवाद का ईरानी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर असर पड़ सकता है.

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