43 दिनों से ग्रामीण जंगल में कर रहे पहरेदारी:रायगढ़ में ग्रामीण बोले- नहीं कटने देंगे कोल माईंस के विस्तार के लिए पेड़, जंगल में ग्रामीणों को पहला अधिकार मिले

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला के नागरामुड़ा गांव के ग्रामीण पेड़ कटाई का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीण सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक नर्सरी बाड़ी में पहुंचकर पहरेदारी करने बैठ जाते हैं और जंगल में पेड़ कटाई न हो इसकी निगरानी कर रहे हैं। आज ग्रामीणों को इस तरह से विरोध करते हुए 43 दिन हो चुके हैं। निजी कंपनी के कोल माईंस विस्तार के लिए पेड़ कटाई किया जाना है। तमनार ब्लाॅक के डोंगामहुआ, जांजगीर व नागरामुड़ा गांव के जंगल में माईंस के विस्तार के लिए तकरीबन 12 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई करना है। पेड़ काटने और उसके परिवहन का काम वन विभाग को किया जाना है। ऐसे में 27 नवबंर को वन अमला नागरामुड़ा गांव में पेड़ काटने पहुंचा और करीब 1100 पेड़ों को काट दिया, लेकिन उसके बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने कटे हुए पेड़ों को भी उठाने से मना कर दिया। हर दिन ग्रामीण सुबह 10-11 बजे से नर्सरी बाड़ी के पास इक्ट्ठा होते हैं और शाम तक यहीं रहते हैं। ताकि पेड़ों की कटाई नहीं हो सके। उनका यह भी कहना है कि जंगल में ग्रामीणों का पहला अधिकार है और वह अधिकार देने के बाद ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए। समझाईश दी गई, पर नहीं माने ग्रामीण
बताया जा रहा है कि कटे हुए पेड़ जंगल में पड़े हैं और वन विभाग के लिए उसे उठाना भी जरूरी है। ऐसे में मंगलवार को कटे पेड़ों को उठाने का प्रयास किया गया, पर ग्रामीणों ने पेड़ को उठाने नहीं दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से उन्हें कई तरह के लाभ मिलते हैं और पेड़ों के कट जाने से उनकी समस्याएं बढ़ जाएगी।
नोटिस पर जताए थे आपत्ति
नागरामुड़ा गांव के जन्मजय विश्वाल का कहना है कि जब तक गांव है तब तक जंगल को रहना चाहिए। करीब 2 माह पहले गांव के विस्थापन के लिए नोटिस दिया गया था मुनादी करायी गई थी। जिस पर ग्रामीणों ने आपत्ति जतायी थी। सर्वे भी नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि विस्थापन के लिए ग्राम सभा भी नहीं हुआ है।
नहीं कटना चाहिए जंगल
वन प्रबंधन समिति अध्यक्ष डिलेश्वर यादव ने बताया कि पेड़ कटाई का लगातार विरोध किया जा रहा है। जंगल में सराई, साजा, महुआ समेत कई प्राजाति के पेड़ हैं और जंगल कटना नहीं चाहिए। उनका कहना है कि नागरामुड़ा गांव करीब 600 आबादी वाला गांव है और ग्रामीण इस पर आश्रित रहते हैं।
पहला अधिकार ग्रामीणों को मिले
गांव के कन्हाई पटेल ने बताया कि पेड़ काटने के लिए ग्राम सभा तक नहीं हुआ। यहां की जमीन का चारागाह के नाम से पट्टा भी है, लेकिन उसके बाद भी पेड़ों की कटाई किया गया। ग्रामीण चाहते हैं कि जंगल को काटा जा रहा है तो उसका पहला अधिकार ग्रामीणों को मिले। उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया की जानी चाहिए।
रेंजर ने कहा काम बंद कर दिया है
इस संबंध में तमनार वन परिक्षेत्र अधिकारी राजेश तिवारी ने बताया कि एक निजी कंपनी कोल माईंस के विस्तार के लिए पेड़ कटाई किया जाना है। शासन का जो आदेश है उसे पालन किया जा रहा था। ग्रामीणों के विरोध के बाद पेड़ कटाई के काम को रोक दिया गया है और डीएफओ को प्रतिवेदन दे दिए हैं। नागरामुड़ा में 1100 पेड़ काटे गए हंै। काटे गए पेड़ों को उठाने गए थे, ग्रामीणों को समझाईश भी दी गई, लेकिन ग्रामीण नहीं माने।

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