एचएमपी वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए बरतें सावधानी, मास्क लगाएं

भास्कर न्यूज | महासमुंद वर्तमान में चीन के कुछ राज्यों में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमो वाइरस) रोग के प्रकरण पाए जा रहे है। ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस की खोज (एचएमपीवी ) 2001 में किया गया था। यह एचएमपीवी न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है जो एक रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आएसवी) की ही फैमिली है, यह आमतौर पर ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र संक्रमण का कारण बनता है, जो सामान्य सर्दी या फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है। विदित हो कि ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस एक स्व-समिति संक्रमण है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी कुदेशिया ने बताया कि एचएमपीवी वायरस संक्रमण के सामान्य लक्षण में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, जलन, सांस लेने में कठिनाई, बुखार आदि शामिल है। इसके रोकथाम के लिए उन्होंने हाथों को साबुन एवं साफ पानी से हाथ धोने, अस्पताल एवं अन्य भीड-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क का उपयोग करने, बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह को न छूने, बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचने, छींकते एवं खांसते समय मुंह को रूमाल ,कपड़े से ढकने, श्वसन तंत्र संबंधी लक्षण बीमारी होने पर घर पर ही रहने की सलाह दी है। सीएमएचओ ने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस संक्रमण होने एवं लक्षण उत्पन्न होने के बीच के समय सामान्यतः 3- 6 दिवस का होता है। जो खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रापलेटस, संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से अथवा नजदीकी संपर्क में आने से, दूषित सतह पर हाथ लगाने पश्चात्, मुँह, नाक या आँखों को छुने से फैल सकता हैं। हाई रिस्क आयु समूह में 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु, वृद्ध और विशेषकर 65 वर्ष अधिक आयु, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों को अधिक जोखिम होता है।

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