छात्रों ने सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई

भास्कर न्यूज | सूरजपुर विकासखंड रामानुजनगर के विभिन्न स्कूलों में सावित्रीबाई फुले का 194वां जन्म दिवस मनाया गया। वहीं माध्यमिक शाला पतरापाली में सावित्री बाई फुले के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण कर अगरबत्ती जलाई गई। संस्था के प्रधान पाठक बीआर हितकर ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने बाल विवाह व जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और विधवा विवाह करने समाज को जागरूक किया। अगर सावित्रीबाई के विचार आमजन तक ले जाने का काम जब तक नहीं होगा, तब ही उनका जन्म दिन मनाना सार्थक नहीं होगा। शिक्षक योगेश साहू ने उनका परिचय दिया। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका व मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों व शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा भाषण व अन्य प्रतियोगिता कराई और पुरस्कार बांटे। कार्यक्रम में प्रधान पाठक बीआर हितकर, संकुल समन्वयक डी सिंह, महेंद्र पटेल, कृष्णा यादव, योगेश साहू, रघुराज जायसवाल, सरिता सिंह व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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