स्कूल शिक्षा विभाग:शिक्षा सचिव रहते शुक्ला की बाल पत्रिका ‘किलोल’ को स्कूलों-संकुलों से हुआ 3.53 करोड़ रु. का भुगतान

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सबसे ताकतवर आईएएस माने जाने वाले डॉ. आलोक शुक्ला की बाल पत्रिका ‘किलोल’ को स्कूल, संकुलों से 3.53 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। ये शाला और संकुल अनुदान मद से तब हुआ, जब डॉ. शुक्ला स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव थे। इसकी खरीदी के लिए प्रबंध संचालक, समग्र शिक्षा ने बाकायदा लिखित निर्देश जारी किए थे। भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि डॉ. शुक्ला ‘किलोल’ के संस्थापक हैं। 2016 से वे इसे डिजिटल निकाल रहे है। स्कूल सिस्टम में मैग्जीन की एंट्री करवाने के लिए जनवरी 2022 में विंग्स टू फ्लाई सोसाइटी के तहत इसका रजिस्टेशन करवाया गया। प्रिटिंग के बाद प्रदेश के 5,480 संकुलों (10 स्कूलों ​का क्लस्टर) में से 3,233 ने 10,000-10,000 रुपए देकर आजीवन सदस्यता ली। स्कूलों और शिक्षकों ने 600 और 720 रुपए में वार्षिक सदस्यता ली। तब इसपर आपत्तियां आईं, मगर उन्हें दबा दिया गया। उधर, ‘किलोल’ हर महीने संकुलों तक पहुंचाई जा रही है। मगर, इसका उपयोग नहीं। किलोल के संपादक मंडल के एक पूर्व सदस्य जो समग्र शिक्षा में पदस्थ थे, उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बात की। बोले- संकुल ग्रांट लैप्स होने वाली थी, इसलिए ‘किलोल’ खरीदना तय हुआ। इसमें यह भी तय हुआ कि छत्तीसगढ़ के छात्र और शिक्षकों के लेख, कहानी, कविताएं प्रकाशित होंगी, ताकि इन्हें प्रोत्साहन मिले। हालांकि अधिकारी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं​ कि सरकारी कर्मियों को मैग्जीन में इंवोल्व नहीं होना था। भास्कर ने किलोल की खरीदी को लेकर समग्र शिक्षा के तत्कालीन प्रबंध संचालक नरेंद्र दुग्गा से बात की, बोले- मुझे याद नहीं। वर्तमान प्रबंध संचालक संजीव झा ने कहा- विधानसभा में जवाब दे दिया है। ​डॉ. आलोक शुक्ला नान घोटाले में आरोपी: आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला (1986 बैच) को रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस सरकार ने 2020 में 3 साल की संविदा नियुक्ति दी। 31 मई 2023 के बाद संविदा अवधि एक साल और बढ़ा दी गई। डॉ. शुक्ला 36 हजार करोड़ के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में मुख्य आरोपी हैं। सरकार: मैग्जीन की शासकीय खरीदी नहीं, खुलासा: शाला,संकुल अनुदान मद से भुगतान विधानसभा सवाल: किलोल की खरीदी व उसकी सदस्यता की स्थिति क्या है? जवाब 2023- किलोल की संपादक डॉ. रचना अजमेरा, प्रकाशक श्यामा तिवारी द्वारा विंग्स टू फ्लाई सोसाइटी एवं मुद्रक सलूजा ग्राफिक्स रायपुर है। 24 जनवरी 2022 को प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा ने खरीदी की स्वीकृति दी है। जवाब 2024- आकस्मिक व्यय: केंद्र द्वारा इस मद में 20,000 रुपए राशि स्वीकृत की गई है। राज्य में प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘किलोल’ की आजीवन सदस्यता रुपए 10,000 इस मद से व्यय करने निर्देशित किया जाता है। आमने-सामने किलोल बंद कराएं चंद्राकर… सरकार उनकी, मुझे जेल भिजवाएं ​​​​​​​अनुदान से खरीदी संभव नहीं विभाग का गोलमोल जवाब
​समग्र शिक्षा के तत्कालीन प्रबंध संचालक नरेंद्र दुग्गा ने शाला अनुदान मद से खरीदी के निर्देश दिए थे, उस मद से खरीदी की ही नहीं जा सकती थी। विभाग ने विधानसभा में हर बार घुमा-फिराकर उत्तर​ दिया।-अजय चंद्राकर, भाजपा विधायक सीधी बात – डॉ. आलोक शुक्ला, तत्कालीन प्रमुख सचिव एवं संस्थापक किलोल पत्रिका अनुदान से खरीदी संभव नहीं विभाग का गोलमोल जवाब
​समग्र शिक्षा के तत्कालीन प्रबंध संचालक नरेंद्र दुग्गा ने शाला अनुदान मद से खरीदी के निर्देश दिए थे, उस मद से खरीदी की ही नहीं जा सकती थी। विभाग ने विधानसभा में हर बार घुमा-फिराकर उत्तर​ दिया।
-अजय चंद्राकर, भाजपा विधायक किलोल को लेकर विधानसभा के 2 सत्रों में विधायक चंद्रकार ने प्रश्न लगाया है। पत्रिका आपकी है?
मैंने 8 साल पहले इसे ऑनलाइन शुरू किया था, आज भी ऑनलाइन है। मैं इसे अपलोड करता हूं। जबसे इसकी प्रिटिंग शुरू हुई, मैंने इसकी ऑनरशिप सोसाइटी को सौंप दी। मेरा इससे लेना-देना नहीं है। सोसाइटी के आग्रह पर संस्थापक के तौर पर मेरा नाम जाता है। संकुलों ने किलोल की आजीवन सदस्यता के लिए 10,000 रुपए दिए?
प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा ने निर्देश निकाले थे। मुझसे इसकी स्वीकृति नहीं ली थी। वैसे भी स्कूल घटिया सामग्री खरीदते हैं। सोसाइटी से पैसे वापस ले लें। जो अच्छा काम हो रहा है, उसे चंद्राकर रूकवाना चाहते हैं। किलोल बंद करवा दें। अब तो सरकार भी उनकी है। मुझे जेल भिजवां दें। अफसरों ने दी सेवाएं मैग्जीन का डिजाइन, ले-आउट समग्र के एक ऑपरेटर से बनवाया जाता था। यानी इस मैग्जीन के कंटेंट, एडिटिंग, डिजाइन ले-आउट में एक रुपए भी सोसाइटी का खर्च नहीं हुआ। मैग्जीन में सेवा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी-शिक्षक ने शासन से अनुमति नहीं ली, न सूचना दी।​​​​​​​

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