18 करोड़ की सोलर और जल जीवन मिशन में घोटाला:फाइलों पर पानी सप्लाई, सेना की जमीन पर अवैध खुदाई, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ रुपए के सोलर स्ट्रीट लाइट घोटाला, सेना की जमीन में अवैध खुदाई, नगर निगम में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की अधूरी योजना जैसे अहम मुद्दों पर हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जाहिर की है। वहीं जल-जीवन मिशन के काम में लापरवाही की गई है। फाइलों पर पानी की सप्लाई हो रही, लेकिन गावों में पाइप तक नहीं बिछी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शीतकालीन अवकाश के बावजूद दैनिक भास्कर सहित मीडिया में प्रकाशित इन खबरों को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। हाईकोर्ट ने अलग-अलग मामलों में सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए संबंधित विभाग के अफसरों से शपथ-पत्र के साथ जवाब मांगा है। अर्जेंट केस की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच में सुनवाई दरअसल, हाईकोर्ट में 20 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश चल रहा है। इस दौरान अर्जेंट केस की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच में सुनवाई की व्यवस्था है। हालांकि, अवकाश के दौरान रजिस्ट्री विभाग में काम काज चल रहा है, लेकिन जज अवकाश पर हैं। इस बीच मीडिया में प्रकाशित खबरों को देखकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड कर गुरुवार को स्पेशल डिवीजन बेंच गठित की, जिसमें वो खुद और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल ने अलग-अलग केस की सुनवाई की। पर्यावरण मंडल विभाग कोई काम का नहीं चीफ जस्टिस ने शहर में औद्योगिक क्षेत्रों में कचरा डंप करने और नगर निगम की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम योजना को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण विभाग के वकील से यहां तक कहा कि आपके विभाग के अफसरों को इन सबकी चिंता ही नहीं है। ऐसे ही एयरपोर्ट से लगे सेना की जमीन पर अवैध मुरुम खुदाई पर उपमहाधिवक्ता का जवाब सुनकर कोर्ट ने हैरानी जताई और कहा कि कहा ऐसे मामलों में जिम्मेदारों की आंखें बंद रहती हैं। इतना नहीं है कि गांव वाले बेचारे ले गए हैं। ये जो बड़े-बड़े लोग हैं जो इस सबके पीछे हैं। सेना की जमीन पर अवैध खुदाई, बिल्डर को भी बनाया पक्षकार एयरपोर्ट के पीछे तेलसरा गांव में रक्षा मंत्रालय की जमीन है। एयरपोर्ट के डेवलपमेंट के लिए यहां की 287 एकड़ जमीन राज्य सरकार को हस्तांतरित करने पर सहमति बन चुकी है। हाईकोर्ट के आदेश पर जमीन का सीमांकन भी कराया जा चुका है। एयरपोर्ट को जमीन मिलने के बाद यहां रन-वे के विस्तार समेत अन्य काम कराए जाने हैं, लेकिन यहां अवैध तरीके से मुरुम खनन किया जा रहा है। इसकी जानकारी मिलने पर रक्षा विभाग के संपदा अधिकारी नेहा गुप्ता और मोहम्मद आलम जबलपुर से बिलासपुर आए थे। कलेक्टर से मुलाकात कर अवैध खुदाई रोकने की मांग की उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात कर अवैध खुदाई रोकने की मांग की थी। इसके बावजूद रोक नहीं लग सकी। इसमें अवैध खनन के साथ-साथ रायपुर रोड से लगी कई कॉलोनियों में मुरुम पाटने की जानकारी सामने आई। यहां से निकाले जा रहे मुरुम का उपयोग आसपास की कॉलोनियों में किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के साथ ही रक्षा मंत्रालय और फॉर्चून एलिमेंट के संचालक पवन अग्रवाल को पक्षकार बनाकर नोटिस जारी किया है। केस की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी। जल जीवन मिशन में लापरवाही पर मांगा जवाब जल जीवन मिशन के तहत बिलासपुर जिले के सभी गांवों में पीने का पानी पहुंचाने की योजना है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि बिल्हा, मस्तूरी, तखतपुर और कोटा विकासखंड के 34 गांवों के शतप्रतिशत घरों में योजना के तहत पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। विभाग ने बाकायदा 34 गांवों में काम पूरा होने को प्रमाणित करा लिया है। 14 गांवों के सभी घरों में 100 प्रतिशत पानी की सप्लाई का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया गया है। दैहानपारा में केवल 130 घरों में ही पानी की आपूर्ति की जा रही है, जो उस गांव की आबादी का मात्र 20% है। कागजों पर पानी सप्लाई, गांवों में पाइप तक नहीं ग्राम पंचायत बन्नाकडीह में ऐसे लोगों को पानी सप्लाई के लिए कनेक्शन ही नहीं दिया जा रहा है, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। गांवों में अधिकारियों ने दावा किया है कि सभी घरों में नल लगाने का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि पूरे गांव में आज तक पाइप लाइन भी नहीं बिछाई गई है। कई गांवों में ओवरहेड वाटर टैंक का निर्माण अधूरा है या बना ही नहीं है। पानी के बिलों में भी विसंगति है। कुछ गांवों में 100 रुपए तो कुछ गांवों में 80 रुपए वसूल किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने पूछा- मिशन का काम कब शुरू हुआ, कब होगा पूरा हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है। उन्हें बताने को कहा गया है कि राज्य में जल जीवन मिशन का काम कब शुरू किया गया था और कब तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। इस केस की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। बिना टेंडर के सोलर लाइट पर 18 करोड़ खर्च, ऊर्जा सचिव से मांगा शपथ-पत्र इसी तरह बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में बिना टेंडर के सोलर स्ट्रीट लाइट पर 18 करोड़ रुपए खर्च कर दिया गया है। इसके साथ ही कोंडागांव, कांकेर और जांजगीर-चांपा में भी ऐसी गड़बड़ी सामने आई है। सोलर लाइट घोटाले पर मीडिया में आई खबर पर हाईकोर्ट ने ऊर्जा विभाग के सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब देने को कहा है। नियमों को अनदेखी कर की गई है अनियमितता दरअसल, प्रदेश के बस्तर, और सुकमा के 190 गांवों में टेंडर और आदेश के बगैर 18 करोड़ रुपए के सोलर स्ट्रीट लाइट लगाए गए हैं। इसमें क्रेडा के नियमों की भी अनदेखी की गई है। आरोप है कि वर्ष 2021 से 2023 के बीच प्रदेश के कई गांवों में अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार एवं अनियमितताएं की हैं। आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, खनिज न्यास निधि एवं क्षमता विकास निधि जैसे विभिन्न मदों के अंतर्गत उपलब्ध राशि का जमकर दुरुपयोग किया गया है। महंगे दामों पर खरीदी कर सोलर स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। बस्तर संभाग के 181 गांवों में 17.23 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यहां 47,600 रुपए प्रति स्ट्रीट लाइट की दर से 3620 सोलर स्ट्रीट लाइट लगाए गए हैं। इसी प्रकार सुकमा में 85 लाख रुपए, जांजगीर में 2.96 करोड़ रुपए, कोंडागांव में 8 करोड़ रुपए और कांकेर में 1.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए 14.40 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। क्रेडा ने कहा- प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है। क्रेडा के वकील ने माना उचित प्रक्रिया का पालन नहीं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी यानी क्रेडा की तरफ से एडवोकेट देवर्षि ठाकुर ने कहा कि सोलर स्ट्रीट लाइट की खरीदी की प्रक्रिया उचित नहीं थी। टेंडर प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नियमों की जानकारी होने के बाद भी अधिकारियों ने अनदेखी की। यहां तक कि भंडार क्रय नियम के तहत निर्धारित नियमों का भी उल्लंघन किया गया है। यह भी बताया कि सोलर स्ट्रीट लाइट 25 हजार रुपए की दर से लगाई जा सकती थी, लेकिन इसके ए 47 हजार रुपए तक खर्च किए गए। रेलवे ने ट्रेन की सीटों को बनाया नाले का स्लैब रेलवे क्षेत्र की मुख्य सड़क पर नाला निर्माण के लिए ट्रेन की सीटों के गद्दों को स्लैब के रूप इस्तेमाल किया गया है। इस संबंध में आई मीडिया रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने रेलवे संसाधनों का बेजा उपयोग करने सहित रेलवे की लापरवाही और कार्यक्षमता पर सवाल उठाया है। डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। उन्होंने मामले में जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। वहीं, डिवीजन बेंच ने कड़ी टिप्पणी करते हुए जिम्मेदार अधिकारी से शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी।