ढिल्लो बरनाला जिले के रहने वाले हैं। 72 साल के केवल 2019 में भगवंत मान से संगरूर लोकसभा का चुनाव हार गए थे। हालांकि उन्होंने 3.03 लाख वोट लेकर दिखाया कि वो मजबूत नेता हैं। उनकी हार 1.1 लाख वोटों से हुई थी। 132.88 करोड़ की संपत्ति के मालिक ढिल्लो सफल व्यवसायी हैं। वो तीन बार कांग्रेस से असेंबली का चुनाव लड़ा। 2007, 2012 में जीते भी। जब भी वो विधायक बने कांग्रेस विपक्ष में थी। 2017 में वो 2432 वोटों से चुनाव हार गए। 2022 के असेंबली चुनाव में उन्हें टिकट की उम्मीद थी लेकिन कांग्रेस ने पवन बंसल के बेटे मनीष को उनकी सीट से मैदान में उतार दिया। वो निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके थे पर फिर पीछे हट गए।
उसके बाद कांग्रेस ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि मनीष तिवारी ने उनके निष्कासन पर अपनी ही पार्टी को आईना दिखाकर कहा कि जब कांग्रेस पर कोई एक पैसा लगाने को तैयार नहीं था तब ढिल्लो ने ही मदद की थी। फिलहाल केवल ढिल्लो पीएम मोदी के कसीदे पढ़कर वोटर्स को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी करके बेहतरीन काम किया है।