कदम मिलाकर चलना होगा.. का पाठ कर अटल को किया नमन
भास्कर न्यूज | कवर्धा वनमाली सृजन केंद्र एवं पाठक मंच ने स्थानीय सर्किट हाउस में 25 दिसंबर को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई। इस दौरान कवि संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में साहित्यकार नीरज मनजीत ने गीत नया गाता हूं.., आओ फिर से दिया जलाएं.., कदम मिलाकर चलना होगा.., मौत से ठन गई.., और अपने ही मन से कुछ बोलें.. शीर्षक से अटल जी की कविताओं का पाठ किया। इसके बाद उन्होंने अटल जी की कविताओं के प्रेरणादायी कथ्य, आशा-निराशा की अनुभूतियों, भावपक्ष, भाषा सौंदर्य की विवेचना की। उन्होंने बताया कि अटल जी का कवि व्यक्तित्व उनके विराट राजनीतिज्ञ व्यक्तित्व के पीछे ओझल हो जाता है, जबकि उनकी कविताएं हर दृष्टि से श्रेष्ठ कवि मन की रचनाएं हैं। बलदाऊ प्रसाद गुप्ता ने कहा कि अटल जी एक सहृदय अजातशत्रु राजनेता थे और उनकी ग्रामीण भारत सड़क परियोजना ने कनेक्टिविटी में भारत को एक सूत्र में बांधा है। डॉ. संगीता चौहान ने अपने बालपन में उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए बताया कि वे मेरे पिता के मित्र थे और जब भी वे हमारे घर आते तो मुझसे लाड़ जताते थे। कवियों ने पढ़ी अपनी श्रेष्ठ कविताएं: कार्यक्रम के तीसरे सत्र में साहित्यकार सोम वर्मा, संतराम थवाईत, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, अश्वनी कोसरे, सात्विक श्रीवास्तव, पुष्पांजलि नागले और नीरज मनजीत ने अपनी श्रेष्ठ कविताओं का पाठ करके अटल जी की स्मृतियों को नमन किया। अश्वनी की छत्तीसगढ़ी कविता को विशेष रूप से सराहा गया, जिसमें बड़ी ही मीठी बोली में 36 सब्जी-भाजियों का वर्णन किया है। कविताओं के सौंदर्य को रेखांकित किया कवि संतराम थवाईत और अश्वनी कोसरे ने अटल जी की कविताओं के सौंदर्य और भावपक्ष को रेखांकित किया। सात्विक श्रीवास्तव ने उनके प्रखर वक्ता पक्ष पर बात रखी। पुष्पांजलि नागले ने उनके सौम्य उदात्त व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हुए उन्हें प्रखर कवि बताया। सोम वर्मा, हरीश गांधी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर और रामेश्वर गुप्ता ने भी विचार रखे। अध्यक्षीय संबोधन में प्रेमचंद श्रीश्रीमाल ने उन्हें प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता निरूपित किया और नदी जोड़ो परियोजना के उनके विचार को रेखांकित करते हुए उनके कवर्धा प्रवास को याद किया।