कुसुम प्लांट हादसा…3 दिन बाद शव ले गए परिजन:सहायता-राशि देने कतराते रहा प्रबंधन, इंजीनियर के परिवार को 44 लाख,फीटर को 35 लाख मिला मुआवजा

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के कुसुम प्लांट में हादसे के बाद प्रबंधन ने मुआवजा देने से कतराते रहा। इसलिए दो शव बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में दो दिन तक पड़े रहे। रविवार देर शाम दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी। फीटर अवधेश कश्यप के परिवार को 35 लाख और इंजीनियर जयंत साहू के परिजन को 44 लाख का मुआवजा दिया गया। तब 3 दिन बाद परिजन मृतकों के शव ले गए। वहीं, हेल्पर प्रकाश यादव और मनोज घृतलहरे के परिवार को 23-23 लाख मुआवजा दिया गया था। दरअसल, रायपुर-बिलासपुर एनएच पर सरगांव के पास रामबोड़ स्थित कुसुम स्मेल्टर प्राइवेट लिमिटेड में 9 जनवरी को साइलो गिरने से कर्मचारी दब गए थे। इनमें इंजीनियर जयंत साहू, सीनियर फीटर अवधेश कश्यप, दो हेल्पर प्रकाश यादव और मनोज धृतलहरे समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी। जानिए किसे कितना मिला मुआवजा शनिवार की सुबह प्लांट से चारों शव को निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिम्स भेजा गया। जिसके बाद मॉर्च्युरी में रखी लाशों पर प्लांट प्रबंधन की तरफ से प्रशासनिक अफसर पूरे दिन बहस करते रहे। इस दौरान इंजीनियर जयंत साहू का परिजनों ने 1 करोड़ मुआवजा के बिना लाश लेकर जाने से इनकार कर दिया। वहीं, सीनियर फिटर और हेल्पर के परिजन 50-50 लाख रुपए मुआवजे की मांग पर अड़े रहे। अफसर सभी को एक-एक कर बंद कमरे में ले जाकर बातचीत करने की कोशिश करते रहे। फिर प्रकाश के परिजन 1 लाख रुपए कैश और 22 लाख रुपए का चेक लेकर शव घर ले गए। मनोज के परिजन भी इतने ही मुआवजे पर सहमत हो गए। दो परिजनों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण रविवार को भी उनका शव मॉर्च्युरी में पड़ा रहा। मुआवजे से नहीं हो सकती भरपाई, परिवार चलाने की मजबूरी इंजीनियर और सीनियर फिटर के परिजन देर रात तक सिम्स के मॉर्च्युरी में ही डटे रहे। रविवार की सुबह से प्रशासन और प्रबंधन के साथ उनकी चर्चा शुरू हुई। परिजनों का कहना था कि उनके परिवार ने जो खोया है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। लेकिन, परिवार चलाने के लिए मुआवजा जरूरी है। परिवार के एकमात्र जिम्मेदारी निभाने वाले की गैरमौजूदगी में उनके बच्चों को कोई परेशानी न हो, इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन को उठानी चाहिए। उनके पूरी सैलरी परिजनों को देनी चाहिए। ताकि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और उनकी पत्नियां अपना जीवन यापन कर सकें। इंजीनियर जयंत साहू के भतीजे अजीत ने बताया कि, उनके चाचा ईमानदार इंजीनियर थे। काम के लिए परिवार तक को समय नहीं दे पाते थे। उनकी पूरी सैलरी जोड़ी जाए, तो एक करोड़ से अधिक होती है। बोनस, पीएफ नहीं चाहिए, सिर्फ एक करोड़ की राशि पत्नी और बच्चों को दी जाए। ताकि उन्हें भविष्य में कोई आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। देर शाम बनी सहमति, इंजीनियर को 44 तो फिटर के परिजन को 35 लाख दिन भर चर्चा का दौर चलता रहा। हादसे में लापरवाही के बाद प्रबंधन मुआवजा देने के लिए मनमानी करने पर अड़ा रहा। प्रशासन की अध्यस्थता के बाद परिजनों और प्रबंधन के बीच देर शाम सहमति बनी। इस दौरान इंजीनियर जंयत साहू के परिजनों ने बताया कि उन्हें 44 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। जबकि, मृतक फीटर अवधेश कश्यप के परिवार को 35 लाख रुपए मुआवजा दिया गया। जिसके बाद दोनों शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ और परिजन शव लेकर रवाना हुए। बता दें कि एक दिन पहले शनिवार को हादसे में मृत प्रकाश यादव और मनोज घृतलहरे के परिवार को 23-23 लाख मुआवजा दिया गया था। इधर, कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट मांगी रामबोड़ ग्राम स्थित कुसुम प्लांट में हुए हादसे को लेकर मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने कई बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट मांगी है। औद्योगिक सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को प्लांट में लगे हर साइलो के उपयोग की पूरी तरह जांच कर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। एक निर्देश श्रम विभाग को दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि श्रम न्यायालय में फैक्ट्री एक्ट के प्रावधानों के तहत जांच कर रिपोर्ट पेश करें। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को फैक्ट्री में पर्यावरणीय मानकों के पालन पर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है। कलेक्टर ने जांच पूरी होने तक प्लांट का संचालन पूरी तरह बंद रखने के लिए कहा है।

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