भ्रष्टाचार में सड़क चूरचूर:सड़क उखड़ने की खबर फैलते ही मौके पर पहुंचे अफसर, अब फिर नए सिरे से करेंगे डामरीकरण

मोवा ओवरब्रिज को 3 से 8 जनवरी बंद रखकर 82 लाख खर्च डामरीकरण किया गया। लाखों लोग इस दौरान परेशान हुए। गुरुवार को सुबह ओवरब्रिज चालू किया गया लेकिन 60 मिनट यानी एक घंटे के भीतर बजरी निकलने लगी और देखते ही देखते पूरी सड़क उधड़ गई। इसकी जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा और आला अफसर आनन-फानन में वहां पहुंचे। नए डामरीकरण की पूरी लेयर उधड़ी देखकर अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई। ठेकेदार को बुलाकर तुरंत नए सिरे से डामरीकरण करने को कहा गया। अब एक बार फिर डामर की परत उखाड़कर डामरीकरण किया जाएगा, यानी लाखों लोग फिर परेशान होंगे। डामरीकरण का ठेका देकर एक बार भी यहां जांच करने नहीं पहुंचने वाले अफसर गुरुवार को घंटों यहीं डटे रहे। इस दौरान ठेकेदार के कर्मचारी ओवरब्रिज पर गिट्‌टी बजरी हटाने के लिए झाड़ू लगवाते रहे। अफसरों की लापरवाही का ही नतीजा रहा कि लाखों लोगों ने जिस ओवरब्रिज के डामरीकरण के लिए 7 दिन तकलीफ उठाई, उसका कोई फायदा नहीं हुआ। 140 डिग्री की जगह 160 डिग्री में डामर को किया गर्म
पीडब्ल्यूडी के अफसरों का मानना है कि ठेकेदार ने डामर को 140 डिग्री की जगह 160 डिग्री में गर्म कर दिया। इससे डामर जल गया और गिट्टी में मिक्स नहीं हो पाया। यही वजह है कि जैसे ही वाहनों का भार उस पर पड़ा वह गिट्‌टी से अलग हो गया और सड़क उधड़ गई। अफसर और इंजीनियर देखने नहीं आए कि मापदंडों के अनुसार डामर-गिट्‌टी का मिश्रण किया जा रहा है या नहीं। जबकि इसकी जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी के अफसरों की है। डामरीकरण में ये खामियां भी अब जानिए जिम्मेदारों ने क्या कहा प्लांट में डामर ओवर हिट हो गया इस कारण इसकी चिपकने की क्षमता कम हो जाती है। यही वजह है कि गाड़ियों की आवाजाही शुरू होते ही सड़क उधड़ गई। एक दो दिन में मिलिंग मशीन से परत उखाड़कर दोबारा डामरीकरण किया जाएगा।
एसके कोरी सीई ओवरब्रिज पर डामर करने से पहले उसकी जांच की गई थी। ऐसा लगता है डामर ओवर बर्न होने की वजह से गिट्टी निकल गई है। दोबारा क्रैपिंग कर डामरीकरण किया जाएगा।
रोशन साहू एसडीओ एक्सपर्ट डॉ शम्स परवेज, रसायन ​विशेषज्ञ, रविवि खराब क्वालिटी का डामर होने से होता है ऐसा
ओवरब्रिज का नया डामरीकरण चंद मिनटों में उधड़ जाना काफी गंभीर है। ऐसा तभी होता है जब डामर की क्वालिटी खराब हो। यहां भी ऐसा होने का अनुमान है। बाइंडिंग के हिसाब से अच्छी क्वालिटी के डामर का उपयोग नहीं किया जाना प्रतीत होता है। डामरीकरण से पहले अफसरों के पास पूरी एसओपी रहती है। उसके आधार पर वे चेक करते हैं कि डामर की गुणवत्ता कैसी है। यानी सड़क बनने के पहले ही ये पता लगाया जा सकता है कि डामर टिकाऊ है या नहीं। यहां भी जांच होती तो पता चल जाता कि डामर की क्वालिटी खराब है या नहीं। डामर ओवर हिट होने से भी ऐसा होता है।

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