धमाके के 3-दिन बाद मिले ड्राइवर के लाश के टुकड़े:पहले दिन हथेली और अब मिले अन्य अंग, किसान के बेटे का 2 बार करना पड़ा अंतिम संस्कार

जरा सोचिए… किसी का बेटा यदि कमाने गया हो और शाम तक खबर आए की उसकी मौत हो गई है। यह सुनकर परिजनों पर क्या बीतेगी? मन में इच्छा होगी कि अंतिम बार बेटे का चेहरा देख लें, गले लगा लें, लेकिन परिजनों को यह भी नसीब न हो, तो उनपर क्या बीतेगी? टुकड़ों में मिले शरीर के अलग-अलग हिस्सों का 2 बार अंतिम संस्कार करना पड़े तो सोचिए परिवार की क्या स्थिति होगी? ये कोई कहावत या फिल्मी कहानी नहीं है, बल्कि हकीकत है। 6 जनवरी को बीजापुर में कुटरू-बेदरे मार्ग पर IED ब्लास्ट में 8 जवानों समेत जिस वाहन चालक तुलेश्वर राणा की मौत हुई उसके शव के टुकड़ों का 2 बार अंतिम संस्कार करना पड़ा। परिजनों को उसका चेहरा तक देखना नसीब नहीं हुआ। राजकीय सम्मान के साथ सौंपा गया था शव 7 जनवरी को जवानों के शवों के साथ राजकीय सम्मान दिया गया। ताबूत में हाथ, हथेली के टुकड़े रखकर परिजनों को सौंपे गए थे। क्योंकि, शव के चिथड़े उड़ गए थे। कुछ मिला ही नहीं, कुछ बचा ही नहीं। किसान माता-पिता हाथ के टुकड़े और हथेली भी नहीं देख पाए। ताबूत के साथ गांव में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। 8 जनवरी को पुलिस को घटना स्थल पर फिर से एक लाश के टुकड़े मिले। फॉरेंसिक जांच कर बाद पता चला यह तुलेश्वर के हैं। दोबारा परिजनों को उसके शव सौंपे गए और परिजनों को शव को वही रीति-रिवाज के साथ दोबारा अंतिम संस्कार करना पड़ा। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं दरअसल, तुलेश्वर बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के बड़े आरापुर के रहने वाले थे। पिता किसान हैं, मां लकवा ग्रसित है। बड़ा भाई भी पिता के साथ खेती-किसानी का काम करता है। तुलेश्वर पर परिवार की जिम्मेदारी थी। कमाने के लिए वाहन चालक की नौकरी करता था। इस काम के उसे महीने के 8 से 10 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। घर की आवश्यकताओं को पूरा करता था। तुलेश्वर के चाचा के बेटे और भाई सुनील राणा ने कहा कि, तुलेश्वर पर बड़ी जिम्मेदारी थी। मिट्टी का कच्चा घर है। बारिश में पानी टपकता है। तुलेश्वर अक्सर कहता था कि पैसे कमाकर सबसे पहले घर बनाऊंगा। गांव में कुछ लोगों के पास गाड़ी है। उन्हीं की गाड़ी चलाकर वह ड्राइविंग सीखा था। फिर शहर के एक गाड़ी मालिक के यहां वाहन चालक की नौकरी करने लगा। उनकी गाड़ी दंतेवाड़ा पुलिस लाइन में चलती थी। अक्सर जवानों को लाना लेजाना करता था। 6 जनवरी की सुबह अंतिम बार बात हुई। बीजापुर जा रहा हूं, शाम तक घर आऊंगा कहा। वो नहीं आया। आई तो सिर्फ उसकी खबर की उसकी मौत हो गई है। शव तक नहीं मिला। 7 जनवरी को ताबूत में एक हाथ का टुकड़ा रखकर लाया गया था। गांव में हाथ का ही अंतिम संस्कार किया गया। वहीं दो दिन बाद जब शव के दोबारा अंग मिले तो गीदम में फिर से अंतिम संस्कार किया गया। सुनील ने कहा कि, रीति-रिवाज के अनुसार एक ही शव का दो बार अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन, भाई था, हालात ऐसे थे कि करना पड़ा। परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। उसी मौत से परिवार को गहरा सदमा लगा है। ये है परिवार की मांग
परिवार का कहना है कि तुलेश्वर ने भी शहादत दी है। घर में अकेले कमाने वाला था। सरकार मुआवजा दें। साथ ही परिवार के किसी एक सदस्य को सरकार नौकरी दें। सभी शहीदों के शव टुकड़ों में मिले
धमाका इतना जोरदार था कि 500 मीटर के दायरे में शव समेत गाड़ी के चिथड़े उड़ गए। किसी के पैर नहीं मिले तो किसी का हाथ नहीं मिला। सभी 9 शहीदों के शव टुकड़ों में मिले। उन्हें इकट्ठा किया गया। अगले दिन यानी 7 जनवरी को पुलिस लाइन कारली में सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। SP बोले- शव सौंप दिया है
वहीं दंतेवाड़ा के SP गौरव राय ने कहा कि हमें वाहन चालक के शव के कुछ टुकड़े मिले हैं। जिन्हें परिजनों को सौंप दिया गया है। धमाके के बाद शव छिन्न-भिन्न हो गए थे। फॉरेंसिक की टीम जांच कर रही है। 500 मीटर के दायरे में गाड़ी और शव के परखच्चे उड़े
सभी 9 शहीदों के शवों के जितने टुकड़े मिले थे उन्हें इकट्ठा कर लिया गया। अगले दिन यानी 7 जनवरी को पुलिस लाइन कारली में सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। वहीं शहीद में किसी के पैर नहीं मिले तो किसी का हाथ नहीं मिला। धमाका इतना जोरदार था कि 500 मीटर के दायरे में गाड़ी और शव के परखच्चे उड़े। हालात ऐसे रहे कि परिजनों को टुकड़ों में आधा-आधा शव सौंपना पड़ा। बरहाल पुलिस की टीम उसी लोकेशन में तैनात है। शवों के टुकड़े ढूंढने में लगी हुई है। साथ ही फॉरेंसिक की टीम भी मौके पर ही मौजूद है। हर एक पहलुओं की जांच कर रही है। SP बोले- शव सौंप दिया है
वहीं दंतेवाड़ा के SP गौरव राय ने कहा कि हमें वाहन चालक के शव के कुछ टुकड़े मिले हैं। जिन्हें परिजनों को सौंप दिया गया है। धमाके के बाद शव छिन्न-भिन्न हो गए थे। फॉरेंसिक की टीम जांच कर रही है। …………………………………………. ग्राउंड रिपोर्ट…बीजापुर नक्सली हमला, सड़क बनते समय IED लगाई थी:बारूद बिछाने के 3 साल बाद ब्लास्ट किया, DRG जवान ही निशाने पर थे तारीख 6 जनवरी,समय दोपहर 2 बजे और जगह कुटरू का अंबेली गांव- यह वो समय और तारीख है, जब बीजापुर जिले में नक्सलियों ने DRG जवानों से भरी एक गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। इसमें 8 जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए। यह साल 2025 का पहला सबसे बड़ा नक्सली हमला है। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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