मुंगेली स्टील प्लांट हादसा…36 घंटे बाद हटा साइलो:40 घंटे बाद मलबे से मिले इंजीनियर समेत 3 लोगों के शव; मैनेजमेंट पर FIR
छत्तीसगढ़ के मुंगेली में हुए स्टील प्लांट हादसे के 36 घंटे बाद साइलो (लोहे का भारी स्टोरेज टैंक) को हटा लिया गया है। इसके बाद मलबे में फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू हुआ। 3-4 घंटे बाद इंजीनियर समेत 3 लोगों के शव मलबे से निकाल लिए गए हैं। इससे पहले 2 घायल मजदूरों को गुरुवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसमें से एक मजदूर ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इधर, टैंक की चपेट में हाईवा वाहन भी आया और इंजन तक चकनाचूर हो गया। प्लांट के मैनेजर और प्रबंधक पर FIR जिस प्लांट में हादसा हुआ उसका नाम कुसुम स्मेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड है। इसकी शुरुआत 11 अगस्त 2020 को हुई थी। इसके डायरेक्टर संदीप अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, विशाल अग्रवाल और यश पोद्दार हैं। इस प्लांट में 350 से अधिक मजदूर काम करते हैं। यहां आयरन से कच्चा लोहा बनाने काम होता है। हादसे के बाद कलेक्टर के निर्देश पर उद्योग विभाग के अफसरों ने शुरुआती जांच की, जिसमें मैनेजर और प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। यहां साइलो में क्षमता से अधिक लोड किया गया था, जिसके कारण हादसा हुआ और जोखिम उठाना पड़ा। जांच रिपोर्ट के आधार पर सरगांव पुलिस ने प्लांट के ऑपरेशन मैनेजर अनिल प्रसाद, इंचार्ज अमित केडिया और प्लांट के प्रबंधकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। कलेक्टर राहुल देव ने कहा कि, जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। क्या है पूरा मामला बताया जा रहा है कि, सालभर पहले शुरू हुए प्लांट में प्रबंधन ने प्रोडक्शन को शुरू करने में हड़बड़ी की है। बिना ट्रायल 20 दिन पहले ही साइलो को इंस्टॉल किया गया। इंस्टॉल भी कमजोर स्ट्रक्चर पर करने की बात सामने आई है। साइलो इंस्टॉल करने के बाद बताया गया कि इसमें खराबी भी आई लेकिन फिर भी गंभीरता नहीं दिखाई गई। ओवरलोड के कारण साइलो का स्ट्रक्चर हिलने लगा था। इसे गुरुवार दोपहर क्रेन से ठीक किया जा रहा था तभी हादसा हो गया। इसी के नीचे सुपरवाइजर समेत कुछ कर्मचारी दब गए। दो बार फेल हुआ प्रयास, तीसरी बार में सफलता इस हादसे के बाद से कलेक्टर राहुल देव और एसपी भोजराम पटेल की मौजूदगी में बचाव कार्य जारी रहा। SDRF के साथ ही NDRF की टीम को भी बुलाया गया। कंटेनर का वजन ज्यादा होने की वजह से मशीनों के साथ जवान भी बेबस नजर आए। इसके बाद भिलाई और बिलासपुर से एक 400 और दूसरी 250 टन क्षमता वाली दो क्रेन मंगाई गई। असेंबल कर ऑपरेट करने में 8 घंटे लगे, लेकिन कुछ ही देर में यह फेल हो गया। दो बार हुकिंग वायर टूट गया। तब कंटेनर को गैस कटर से काटकर उसके अंदर जमा राख को बाहर निकाला गया। वजन कम होने के बाद रात करीब 11 बजे तीसरे प्रयास में सफलता मिली और कंटेनर को हटा लिया गया। साइलो हटते ही पहुंचे डिप्टी सीएम साव
रेस्क्यू के दौरान विधायक धरमलाल कौशिक शुक्रवार की सुबह से दोपहर तक प्लांट में मौजूद रहे। इस दौरान कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला भी वहां पहुंचे। देर रात करीब 11 बजे साइलो को हटाने की जानकारी मिलते ही डिप्टी सीएम अरूण साव घटना स्थल पहुंचे। उन्होंने कहा कि हर तरह से प्रयास कर वजनी कंटेनर को हटा लिया गया है। अब आगे का रेस्क्यू आसानी से किया जाएगा। सरकार परिजनों के साथ है और हर संभव मदद की जाएगी। फैक्ट्री एक्ट के तहत जांच भी की जा रही है। दोषियों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हंगामा व विरोध की आशंका, छावनी में तब्दील हुआ प्लांट हादसे के बाद परिजन के साथ ग्रामीण भी जुट गए। एक मजदूर की मौत के बाद हंगामा भी हुआ लेकिन उन्हें समझाइश देकर शांत किया गया। आईजी डॉ. संजीव शुक्ला ने बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा, सारंगढ़-बिलाईगढ़ सहित बाकी जिलों से भी पुलिस बल तैनात किया था। इस दौरान पूरे प्लांट और आसपास के इलाके में बैरीकेड लगाकर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। पत्नी-बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल
प्लांट में हुए हादसे का शिकार सरकंडा जबड़ापारा निवासी इंजीनियर जयंत साहू भी हुए। जयंत साहू अपने परिवार के साथ पिछले 10 साल से जबड़ापारा में रहते थे। उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। बड़ा बेटा आशीष (18 साल) इसी साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भोपाल गया है। छोटा बेटा आशुतोष (12 साल) जबड़ापारा स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई करता है। जयंत साहू मूल रूप से ओडिशा के पास गंजाम के रहने वाले हैं।