इन बिलखती आवाजों को सुनने कलेजा चाहिए:बूढ़ी माएं-विधवाएं रोती रहीं, दुधमुंहे बच्चों से पिता को छीना; बीजापुर के शहीदों को CM-गृहमंत्री ने दिया कंधा
अपने जवान बेटे के यूं दुनिया छोड़ जाने का दर्द बूढ़ी मां की आंखों से बह रहा था। वो बिलख रही थी, चींख रह थी, सिर पर हाथ धरकर रोए जा रही थी…और बस रोए जा रही थी। उस मां की सिसकियां सुनकर मुश्किल हालातों में भी डटे रहने वाले पुलिस वालों की आंखें डबडबाती दिखीं, वो बीच-बीच में आंखों से उतरती बूंदों को पोंछ रहे थे। शहीदों की बीवियां गोद में दूधमुंहे बच्चों को लेकर पहुंची थीं। यह बच्चे अब कभी अपने पिता की गोद की गर्माहट नहीं महसूस कर पाएंगे, क्योंकि नक्सलियों ने उनके पिता को छीन लिया है। बीजापुर में शहीद 8 जवानों की विधवाओं, बहनों, मांओं की यूं रोती आवाजें सुनने के लिए भी कलेजा चाहिए। उनकी यह आवाज सवालों से भरी हुई महसूस हो रही थीं, उनके बहते आंसू पूछ रहे थे कि अब हमारा क्या होगा ? हमारी क्या गलती थी ? क्यों हमारे बेटों को इस कदर मार दिया गया? कौन है इसका जिम्मेदार? कब यह त्रासदी खत्म होगी? मुख्यमंत्री साय ने दिया कंधा मंगलवार को दंतेवाड़ा के पुलिस लाइन ग्रांडड में कुछ ऐसे ही हालात दिखे। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी अशोक जुनेजा यहां पहुंचे। यहां सभी ने एक दिन पहले बीजापुर ब्लास्ट में मारे गए 8 शहीद जवानों और ड्राइवर को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने शहीदों के कॉफिन (ताबूत) पर फूल चढ़ाए, हाथ जोड़े। इसके बाद वो शहीदों के परिजनों से मिलने के लिए आगे बढ़े। पास ही बैठकर महिलाएं बिलख रही थीं। एक महिला मुख्यमंत्री के पैर पड़कर रोने लगी। आसपास मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुश्किल से उसे संभाला। शहीदों की विधवाओं की गोद में छोटे बच्चों को देखकर मुख्यमंत्री भी भावुक होते दिखे। इन छोटे-छोटे बच्चों के पिता को नक्सलियों ने ब्लास्ट में मार डाला। महिलाओं के सामने से गुजरते हुए मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़े हुए थे। महिलाएं सिर पर हाथ रखकर रो रही थीं। एक महिला ने बड़ी उम्मीद से मुख्यमंत्री के सामने हाथ फैलाए, और बस रोए जा रही थी। शहादत बेकार नहीं जाएगी- सीएम मुख्यमंत्री ने कहा- बीजापुर के कुटरू क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा किया गया कायराना हमला न केवल हमारे जवानों पर, बल्कि लोकतंत्र और शांति के मूल्यों पर प्रहार है। जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। नक्सलियों के खात्मे के लिए अभियान निरंतर जारी रहेंगे। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि किसी भी हाल में हिंसा और आतंक को सहन नहीं किया जाएगा। हमारी सरकार बस्तर संभाग में शांति स्थापित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है और मार्च 2026 तक प्रदेश में नक्सलवाद समाप्त होकर ही रहेगा।
भूलेंगे नहीं छोड़ेंगे नहीं के लगे नारे दंतेवाड़ा में जब शहीदों के शव लाए गए तो DRG के दूसरे जवानों ने भीतर दुख से ज्यादा गुस्सा था। जवानों का एक ग्रुप जब श्रद्धांजलि देने के लिए आगे बढ़ा तो उन्होंने नारा लगाया भूलेंगे नहीं- छोड़ेंगे नहीं…, शहीद जवानों का बदला लेकर रहेंगे लेकर रहेंगे। भारत माता के नारों के बीच शहीदों के शव को मुख्यमंत्री और गृहमंत्री कांधा देते हुए एंबुलेंस तक लेकर गए यहां से शवों को शहीदों के गांव ले जाया गया। दंतेवाड़ा के पुलिस लाइन ग्राउंड में शोक और जंग के जोश दोनों को साफ महसूस किया जा सकता था। ………………………………………………
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