बस्तर में ‘इंटरनेट क्रांति’…:7 जिलों में लग रहे मोबाइल टॉवर, ताकि युवा न भटकें
छत्तीसगढ़ को अगले साल तक नक्सलवाद से मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ फोर्स नक्सलियों की मांद में घुस ऑपरेशन कर रही है। दूसरी ओर, युवाओं को बहकावे में आकर नक्सलवाद के रास्ते पर चलने से रोकने के लिए केंद्र ने बस्तर में ‘इंटरनेट क्रांति’ छेड़ दी है। इसके लिए 2020 में केंद्रीय गृह और संचार मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित 7 जिलों बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, मोहल्ला-मानपुर, नारायणपुर और सुकमा में 2,898 करोड़ रुपए का मोबाइल टॉवर एस्टेब्लिशमेंट प्लान बनाया। इसमें 3 अलग-अलग योजनाओं में 895 मोबाइल टॉवर लगना तय हुआ। 2022 से अब तक 505 टॉवर लग चुके हैं। माओवादियों को इंटरनेट का इतना भय है कि इंटरसेप्ट होने के डर से उन्होंने मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। वे टॉवर तक जला रहे हैं। भास्कर टीम को इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि नक्सलवाद खत्म करना है तो युवाओं को बाहरी दुनिया से परिचित कराना होगा। यही वजह है कि सड़क से पहले इंटरनेट पहुंचाया जा रहा है। गृह व संचार मंत्रालय 15 दिन में प्रोजेक्ट की समीक्षा कर रहे हैं। ताकि इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़े। बीते 1 साल से नक्सलियों के भर्ती अभियान को भी झटका लगा है, क्योंकि युवा अब उनके साथ जुड़ना नहीं चाहते। तीन जिलों से भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट सरडाबोडेनार, बस्तर निवासी राजू कवासी कॉलेज छात्र हैं। वे कहते हैं कि मोबाइल टॉवर लगने से अब हम न सिर्फ पढ़ाई कर पा रहे हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं की सभी जानकारियां भी हमें मिल पा रही हैं। मैं 12वीं के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भर रहा हूं। ऑनलाइन तैयारियां भी कर रहा हूं। वहीं बीजापुर के जनपद उपाध्यक्ष सोनू पोट्टाम कहते हैं कि हमने पहले कभी नहीं सोचा था कि गंगालूर के अंदरूनी क्षेत्रों में भी इंटरनेट की कनेक्टिविटी होगी। आज अंदरूनी इलाकों तक में नेटवर्क है। नारायणपुर की ही एक गांव की सरपंच बोलीं- मैं चाहती हूं कि मेरे भी गांव में मोबाइल टॉवर लग जाए, ताकि यहां के युवाओं की देश-दुनिया की खबर हो।