5 नगर पंचायतों में सिर्फ पुसौर अध्यक्ष का पद महिला के लिए आरक्षित

भास्कर न्यूज | रायगढ़ नगर निगम महापौर के साथ ही एक नगर पालिका और 5 नगर पंचायतों में अध्यक्षों के लिए मंगलवार को आरक्षण किया गया। जिले में व्यापक फेरबदल हुआ है। महापौर अनुसूचित जाति मुक्त किया गया है। वहीं खरसिया नगर पालिका सामान्य, नगर पंचायत किरोड़ीमलनगर ओबीसी मुक्त, पुसौर में अनारक्षित महिला प्रत्याशी होंगी। धरमजयगढ़, लैलूंगा, घरघोड़ा को अनारक्षित यानि सामान्य मुक्त रखा गया है। आरक्षण तय होने के साथ ही अब दावेदार सामने आएंगे। इधर मतदाता सूची में नाम जोड़ने की मियाद सोमवार को खत्म हुई। अब 15 जनवरी के आसपास मतदाता सूची फाइनल होगी और इसके दो दिन के भीतर आचार संहिता लगने की संभावना है। यदि अब आचार संहिता लगाने में देर की गई तो चुनाव जून तक टल सकते हैं। पिछले निकाय चुनाव के वक्त प्रदेश में सत्ता कांग्रेस की थी, अब भाजपा काबिज है। ट्रिपल इंजन की सरकार की नारेबाजी कर भाजपा निकायों में कब्जा करने की कोशिश करेगी। वहीं कांग्रेस की जिले में स्थिति बहुत खराब नहीं है। चार विधानसभा सीटों में तीन कांग्रेस के पास हैं, इसलिए पार्टी निकाय चुनाव को हलके से नहीं लेगी। कब्जा बरकरार रखना चाहेगी। 2019 में हुए निकाय चुनाव में नगर निगम की महापौर सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित थी। चुनाव अप्रत्यक्ष हुए थे। इस बार प्रत्यक्ष चुनाव होंगे। इस पर आरक्षण एससी मुक्त रखा गया है यानि एससी वर्ग की महिला या पुरुष कोई भी चुनाव लड़ सकता है। संभावित दावेदारों की बात करें तो इस बार बीजेपी में दावेदार ज्यादा होंगे। वहीं कांग्रेस में निवर्तमान महापौर के साथ दो और नाम सामने आए हैं। घरघोड़ा में पिछले चुनाव में कांग्रेसियों के बीच फूट के कारण अध्यक्ष भाजपा का बना था हालांकि बाद में तख्ता पलट हुआ। लैलूंगा में अध्यक्ष बदली गई। 17 तक आचार संहिता लगने की चर्चा जानकारी के मुताबिक 15 जनवरी को मतदाता सूची फाइनल होगी। सूची राज्य निर्वाचन को भेजी जाएगी। बताया जा रहा है कि इसके दो दिन के भीतर निकाय चुनाव की आचार संहिता लग सकती है। 2019 में हुए 25 दिनों की आचार संहिता लगी थी। इस बार भी आसार हैं कि 25 दिनों की आचार संहिता में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। निगम के साथ ही प्रशासन के अफसर कहते हैं कि लेटलतीफी के कारण जनवरी के तीसरे हफ्ते तक आचार संहिता नहीं लगी तो चुनाव टालने पड़ सकते हैं। बोर्ड और घरेलू परीक्षाओं के कारण या तो चुनाव टलेंगे या परीक्षाएं टाली जाएंगी। नए प्रावधानों के मुताबिक इसमें 6 महीने से ज्यादा की देर नहीं की जा सकती है। यदि परीक्षा के कारण चुनाव टले तो फिर जून के आखिर में चुनाव कराने ही होंगे। आरक्षण के बाद नाम जोड़ने से समस्या वरिष्ठ पार्षद प्रभात साहू ने बताया कि वार्डों के आरक्षण के बाद सोमवार तक मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की प्रक्रिया चलती रही। 48 वार्डों में कई वार्डों में मतदाता छूट गए हैं। आरक्षण का पता चलने के कारण पुराने पार्षद ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। कई लोग पार्षद या सक्रिय कार्यकर्ता की पहल पर नाम जुड़वाने के लिए राजी होते हैं। यह समस्या ज्यादातर वार्डों में आई है।

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