खैरागढ़ में अवैध ब्लास्टिंग और पत्थरों का खनन:धूल और प्रदूषण से खेत बंजर, 500 फीट तक गिरा जल स्तर, संकट में ग्रामीण
खैरागढ़ जिले के ठेलकाडीह और आसपास के सीमावर्ती इलाकों में खुलेआम अवैध खनन हो रहा है। यहां सक्रिय दर्जनों खदाने और क्रेशर माफिया, जिला खनिज विभाग और प्रशासन की अनदेखी का फायदा उठाकर अंधाधुंध खनन कर रहे हैं। पत्थरों के अवैध उत्खनन और ब्लास्टिंग से ग्रामीणों संकट में आ गए है। इस क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर अवैध ब्लास्टिंग और पत्थर खनन हो रहा है। इसका असर इतना खतरनाक है कि यहां का भू-जल स्तर 500 फीट तक गिर चुका है। धूल और प्रदूषण से न केवल खेत बंजर हो रहे हैं, बल्कि आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। जिले के कलकसा, टेकापार, बल्देवपुर, साल्हेभर्री और जुरलाकला जैसे गांवों में खदानों की गहराई 150 से 200 फीट तक पहुंच गई है। इन खदानों के चारों ओर न तो कोई सुरक्षा घेरे का इंतजाम है और न ही पर्यावरण संरक्षण के नियमों का पालन हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार खदानों में अवैध गतिविधियों, सुरक्षा की कमी और नियमों के उल्लंघन की शिकायतें की हैं लेकिन अधिकारियों और खदान संचालकों के बीच साठगांठ के चलते अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों के अनुसार, कभी-कभी सरकारी गाड़ियां खदानों की ओर जाती दिखती हैं, लेकिन वे केवल दिखावे के लिए दौरा करती हैं। जमीन पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। खनिज विभाग ने खदानों और क्रेशरों को 4 एकड़ में उत्खनन की अनुमति दी थी, लेकिन असल में इन खदानों का फैलाव कई गुना अधिक हो गया है। ग्रामीण बताते हैं कि पिछले चार सालों से खदानों की कोई जांच नहीं हुई है। खदानों की लीज पहले 5 साल के लिए दी जाती थी, लेकिन 2018 में नियम बदलने के बाद अब यह लीज 30 साल के लिए दी जा रही है। इसका मतलब यह है कि यहां के लोगों को 2048 तक इन्हीं हालातों में जीना पड़ेगा।