रेप पीड़िता नाबालिग के लिए खुला हाईकोर्ट:अबॉर्शन कराने मांगी अनुमति, छुट्टी के दिन HC ने की सुनवाई, रायगढ़ कलेक्टर से मांगा मेडिकल रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बार फिर मानवता का परिचय देते हुए शीतकालीन अवकाश के बीच एक रेप पीड़िता प्रेग्नेंट नाबालिग के केस की सुनवाई की, जिसमें रायगढ़ कलेक्टर को दो दिन के भीतर मेडिकल करा कर 2 जनवरी को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। दरअसल, नाबालिग ने गर्भपात कराने की अनुमति की मांग को लेकर याचिका दायर कर शीघ्र सुनवाई का आग्रह की है। बता दें, कि सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की रहने वाली नाबालिग के साथ एक युवक ने पहले दोस्ती की, जिसके बाद उसे अपने प्रेमजाल में फंसा लिया। इस दौरान युवक ने उसके साथ शादी करने का झांसा देकर उसके साथ रेप किया। फिर वो लगातार शारीरिक संबंध बनाते रहा, जिससे नाबालिग गर्भवती हो गई। जेल में है आरोपी, मां नहीं बनना चाहती लड़की इस मामले में पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। लेकिन, पीड़िता नाबालिग की दिक्कतें कम नहीं हुई है। वो बिना शादी के मां बनने की दुख झेलना नहीं चाहती। लेकिन, कानूनी रूप से उसका गर्भपात भी नहीं हो पा रहा है। इसके लिए वो दफ्तरों का चक्कर काट-काट कर परेशान होती रही। अब हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अबॉर्शन कराने मांगी अनुमति पीड़िता नाबालिग ने अबॉर्शन कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उसने शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह भी की है। याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता 24 सप्ताह की गर्भवती है। वह अपने गर्भ को समाप्त करना चाहती है। 30 दिसंबर को शीतकालीन अवकाश के दौरान रजिस्ट्रार जनरल ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के निर्देश पर स्पेशल बेंच का गठन किया, जिसके बाद जस्टिस बीडी गुरू की स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने ने पीड़िता के निवास से रायगढ़ नजदीक होने को ध्यान में रखते हुए रायगढ़ कलेक्टर को छत्तीसगढ़ सरकार द्बारा जून 2024 को जारी अधिसूचना के अनुसार मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया है और 2 जनवरी को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम करेगी जांच हाईकोर्ट के आदेश में मेडिकल बोर्ड में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट, सोनोलॉजिस्ट और एक अन्य सदस्य जैसा मामले में आवश्यक हो सदस्य शामिल करने कहा है। बोर्ड याचिकाकर्ता की उचित पहचान सत्यापन के बाद पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति, गर्भावस्था का चरण, भ्रूण की समग्र स्थिति, गर्भ की समाप्ति से होने वाले हानि के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पीड़िता को जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के समक्ष 1 जनवरी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है।