बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों के समर्थन में सरकारी टीचर्स:1 दिन की छुट्टी लेकर कर सकते हैं सामूहिक प्रदर्शन, समायोजन की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन
छत्तीसगढ़ के सरकारी टीचर्स ने बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों का समर्थन किया है। सरकारी टीचर्स स्कूल बंद करके 1 दिन की छुट्टी लेकर सहायक शिक्षकों के साथ प्रदर्शन करने की रणनीति तैयार कर रहे है। शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र दुबे ने मंगलवार को तूता धरना स्थल पहुंचकर कहा कि सभी शिक्षक संगठनों से इसे लेकर बातचीत चल रही है और समर्थन में प्रदेशभर के टीचर्स 1 दिवसीय अवकाश पर रहेंगे। विरेन्द्र दुबे ने कहा कि B.Ed सहायक शिक्षकों को नौकरी से निकालने का जो फैसला राज्य सरकार ने लिया है। उसका शालेय शिक्षक संघ विरोध कर रहा है। क्योंकि मेरिट के आधार पर ही इन शिक्षकों का चयन किया गया था और नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद सभी 2900 शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ जाएगा। ऐसे में सरकार अपने फैसले पर पूनर्विचार करे। सामूहिक अनशन पर बैठे सहायक शिक्षक सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर अब सहायक शिक्षक सामूहिक अनशन पर हैं। उनका कहना है कि आंदोलन मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा। नया रायपुर के धरना स्थल पर 14 दिसंबर से अनुनय यात्रा पर निकले B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन 19 दिसंबर को रायपुर पहुंचने के बाद तूता स्थित धरना स्थल में चल रहा है।सहायक शिक्षकों के आंदोलन में सामूहिक अनशन दौरान 3 शिक्षिकाओं की तबीयत भी बिगड़ गई है। उनकी मांगों को लेकर अब तक कोई फैसला सरकार ने नहीं लिया है। हांलाकि एक उच्च स्तरीय कमेटी जरूर बनाई गई है लेकिन इसकी कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है। B.Ed मामले में जानिए अब तक क्या हुआ बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की गई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे। धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद, शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल में ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन 26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा, ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है। 28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि,यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे। 29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे। 30 दिसंबर -पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए। 1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां की प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया। 3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं। 3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया। 6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।