अगले सत्र से व्यवस्था:चार लाख शिक्षकों को हर साल 50 घंटे की ट्रेनिंग जरूरी; वरना प्रमोशन रुकेगा, वेतन भी नहीं बढ़ेगा
नागेंद्र कुमार साहू की रिपोर्ट स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को साल में 50 घंटे की ट्रेनिंग करना अनिवार्य है। ट्रेनिंग पूरी नहीं होने पर शिक्षकों की वेतन वृद्धि और प्रमोशन रोक दिया जाएगा। इस बदलाव के लिए सचिव स्तर में बैठक हो चुकी है। सभी की सहमति के बाद अब तैयारियां शुरू कर दी गई है। अब अगले सत्र से इसे लागू किया जाएगा। वर्तमान में शिक्षकों की किसी भी प्रकार की कोई ट्रेनिंग नहीं होती है, जिस समय शिक्षकों की नियुक्ति होती है ठीक उसी समय 7 दिनों की ट्रेनिंग के बाद उन्हें स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेज दिया जाता है। इस कारण शिक्षकों को अध्यापन स्किल में कोई खास बदलाव नहीं हो पाता है। इसी व्यवस्था को बदलने के लिए यह कवायद की जा रही है। शिक्षकों की ट्रेनिंग कितने घंटे है, उसी के हिसाब से ही शिक्षकों की वेतन वृद्धि होगी और उन्हें प्रमोशन दिया जाएगा। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अब योग्यता रखने और ट्रेनिंग लेने वाले शिक्षकों को ही प्रमोशन और वेतन वृद्धि मिलेगा।
इस पैटर्न पर हो सकती है ट्रेनिंग
विभाग की ओर से जो भी प्रोजेक्ट शिक्षकों को दिया जाएगा, उस प्रोजेक्ट को पूरा कर शिक्षकों को इसकी रिपोर्ट सौंपनी होगी। प्रोजेक्ट को पूरा करने में शिक्षकों को कितने घंटे लगे उसे काउंट किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट छात्रों व शिक्षकों के स्किल डेवलपमेंट और उनकी बेहतरी से जुड़ा होगा। विभाग द्वारा किसी विषय पर ऑनलाइन या ऑफलाइन ट्रेनिंग का आयोजन किया जाएगा। इस ट्रेनिंग में शिक्षकों को हिस्सा लेना होगा। शिक्षकों को इसके लिए सूचना दी जाएगी। जो भी शिक्षक इस ट्रेनिंग में जुड़ेगा, उसके खाते में समय को जोड़ा जाएगा। जितने घंटे की ट्रेनिंग होगी, उतने घंटे शिक्षकों के खाते में आएंगे। इसी तरह शिक्षकों को कुल 50 घंटे की ट्रेनिंग लेनी ही होगी। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में ट्रेनिंग यह ट्रेनिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होगी। इस योजना को लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा रहा है। यह कमेटी यह तय करेगी कि किस भाषा में ट्रेनिंग होगी? किन-किन विषयों को ट्रेनिंग में शामिल किया जाएगा ? साथ ही ट्रेनिंग का प्रोसेस क्या होगा? ट्रेनिंग किस तरीके की होगी?। इस कमेटी में शिक्षा विभाग के सभी विंग से उच्च स्तर रैंक के अफसरों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद ट्रेनिंग की रुपरेखा तैयार की जा सकेगी। प्रोफेसरों की लेंगे मदद
ट्रेनिंग की रुपरेखा तैयार करने के लिए हाई स्तर की कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में शिक्षाविद्, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, एनजीओ कार्यकर्ता आदि लोगों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों के प्राचार्यों की भी मदद ली जाएगी। दूसरे देशों में ऐसी व्यवस्था
शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के मामले में अमेरिका ने भी इसी तरीके को अपनाया है। अफसरों ने बताया कि अमेरिका में भी शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है। इससे शिक्षकों का स्किल तो बेहतर होगा। साथ ही छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। सभी शिक्षकों पर होगा लागू
ट्रेनिंग का यह नियम निजी और सरकारी दोनों स्कूलों के शिक्षकों के लिए लागू होगा। सरकारी शिक्षकों को नीति का पालन तो करना ही होगा, साथ ही प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को भी साल में 50 घंटे की ट्रेनिंग करनी होगी। प्रदेश के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। शिक्षकों की ट्रेनिंग कैसी होगी, इनकी ट्रेनिंग कौन लेगा यह सब तय करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी में शिक्षाविद् व विशेषज्ञ इसकी रूपरेखा तैयार करेंगे। जल्द ही इस संबंध में निर्देश जारी करेंगे। -जेपी रथ, अपर संचालक, एससीआरटी