एयरपोर्ट में नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों की ठगी:बेटे और भाई की नौकरी लगाने के लिए दिए थे रुपए

दिल्ली एयरपोर्ट में ग्राउंड स्टाफ की नौकरी लगवाने के नाम 12 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। नेवई पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नेवई थाना प्रभारी आनंद शुक्ला ने बताया कि रसविंदर कौर ने ठगी की शिकायत दर्ज कराई है। उसने बताया कि वो फेस 2 लक्ष्मी नगर रिसाली में रहती है। उसके पति अमृत पाल सिंह (52 साल) की उनके पड़ोसी डीजी राव से अच्छी दोस्ती थी। राव ने उनके पति की दोस्ती महेन्द्र पाल से करवाई थी। मनेंद्र ने उन्हें अपने दोस्त संतोष करण से मिलवाया, जो नौकरी लगवाने का काम करता है। दोस्ती होने के कारण अमृत पाल ने अपने बेटे और भाई की नौकरी लगवाने की बात उनके सामने रखी थी। इस पर संतोष ने दोनों की नौकरी दिल्ली एयरपोर्ट में लगवाने का दावा किया था। बात हो जाने के बाद अमृत पाल अपनी पत्नी रसविंदर कौर के साथ संतोष से मिलने गया था। वहां संतोष ने कहा कि वो दिल्ली एयरपोर्ट में ग्राउंड स्टॉफ के पद पर नौकरी लगवा देगा, लेकिन एक नौकरी के एवज में 6 लाख रुपए लगेंगे। इस पर रसविंदर तैयार हो गई। उसने अपने बेटे बेटे अनुप सिंह भंडाल और देवर हरिन्दर सिंह की नौकरी लगाने की बात उससे कही। दोनों की नौकरी के लिए उन्होंने कुल 12 लाख रुपए उसे देने के लिए राजी हो गए। इसके बाद महेंद्र पाल और संतोष ने उनसे पैसों की मांग की। इस पर रसविंदर ने एक फरवरी 2029 को उन्हें एक लाख रुपए का चेक दिया। चेक महेन्द्र पाल के बोलने पर उसके दोस्त जितेन्द्र चंद्राकर को महेन्द्र पाल के निवास स्थान मैत्री नगर रिसाली भिलाई में दिया गया। इसके बाद कुछ समय के अंतराल में अलग-अलग डेट पर उन्होंने शेष रकम भी उन्हें दे दी। झूठी ट्रेनिंग के नाम पर ले गए दिल्ली संतोष करण इतना चालाक था कि उसने रसविंदर कौर से कहा कि उनके बेटे और भाई की नौकरी लग गई। ट्रेनिंग करने के लिए वो अनूप सिंह भंडाल और हरिन्दर सिंह को दिल्ली भी ले गया। वहां उसने 2 माह तक दिल्ली के किसी लॉज में उन्हें रुकवाया। ट्रेनिंग के लिए दिल्ली एयरपोर्ट ले गया, लेकिन दोनों की कोई ट्रेनिंग नहीं कराई। इस तरह दिया ठगी को अंजाम आरोपी ने अनूप सिंह और हरिन्दर सिंह को नियुक्ति प्रमाण पत्र एयरपोर्ट में नौकरी के नाम से ना देकर दूसरी कंपनी का दिया था। उसने उस कंपनी में ग्राउण्ड स्टाफ की प्री ट्रेनिंग के लिए फर्जी ऑफर लेटर तैयार करके उन्हें दिया। इसके बाद दूसरी कंपनी में फर्जी टेम्प्रेरी नियुक्ति प्रमाण पत्र बनाकर दिया। दोनों को लाज में रुकवाया उसका भी खर्च उनसे लिया। उन्हें वहां रहने और खाने पीने के लिए अलग से 2 लाख 70 हजार रुपए देने पड़े थे।

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