7 साल बाद भी अमृत मिशन योजना अधूरी:बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ के किसी भी शहर में 24 घंटे नहीं हो रही पानी सप्लाई

बिलासपुर में 24 घंटे पानी सप्लाई के खास मकसद से शुरू की गई ‘अमृत मिशन’ योजना 7 साल बाद भी अधूरी है। ट्यूबवेल से सप्लाई बंद कर सरफेस वाटर यानी नदी, बांध के पानी की सप्लाई की जानी थी। जिससे भूगर्भ जल को बचाया जा सके। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, भिलाई और कोरबा शहर की जल योजना अब भी ट्यूबवेल के सहारे चल रही है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ के पांचों शहरों में ट्यूबवेल पर निर्भरता समाप्त नहीं हो पाई है। न्यायधानी बिलासपुर में सबसे बड़ी 22.50 लाख लीटर क्षमता की कुदुदंड पानी टंकी से बांध की जगह ट्यूबवेल से सप्लाई की जा रही है। नोडल अधिकारी अनुपम तिवारी का कहना है कि, अमृत मिशन की पाइप लाइन के ज्वाइंट की लीकेज अब तक दुरुस्त नहीं हो पाई है। इसका ट्रायल होने के बाद ट्यूबवेल बंद कर दिया जाएगा। योजना लक्ष्य से कोसों दूर अमृत मिशन योजना के तहत पानी की बचत के लिए 24 घंटे पानी सप्लाई, मीटरिंग प्रणाली ताकि लोग जरूरत के हिसाब से पेयजल का उपयोग करें। ट्यूबवेल पर निर्भरता समाप्त करने के लिए बिलासपुर में खूंटाघाट बांध से ग्रेविट फोर्स के जरिए सप्लाई की जा रही है, लेकिन 22 में से एक कुदुदंड पानी टंकी में बांध की बजाय ट्यूबवेल के पानी से सप्लाई की जा रही है। मीटरिंग के लिए प्लान करेंगे- कमिश्नर नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार का कहना है कि, ट्यूबवेल बंद करने का सिलसिला शुरू हो गया है। अब तक 50 फीसदी यानी 66 ट्यूबवेल बंद किए जा चुके हैं। अभी ट्यूबवेल का इस्तेमाल केवल सप्लाई के वक्त बूस्टर के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में मीटरिंग प्रणाली लागू करने के लिए प्लानिंग की जाएगी, जिससे लोग मीटर के हिसाब से जरूरत के मुताबिक पानी उपयोग करें। ऐसा करने से पानी की बचत का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।

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