प्रेग्नेंट युवती की अबॉर्शन की अनुमति पर फैसला आज:रेप के बाद 5 महीने की है गर्भवती, कलेक्टर पेश करेंगे रिपोर्ट; विंटर-वेकेशन में खुला हाईकोर्ट
छत्तीसगढ़ में रेप पीड़िता प्रेग्नेंट युवती की अबॉर्शन की मंजूरी की याचिका पर हाईकोर्ट आज फैसला सुना सकता है। जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने बिलासपुर कलेक्टर को आज रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। 23 दिसंबर को युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अबॉर्शन कराने की अनुमति मांगी है। हाईकोर्ट में युवती ने गर्भपात के लिए सहमति दी है और चिकित्सीय गर्भपात की अनुमति के लिए शपथ-पत्र भी पेश किया। बता दें कि रेप पीड़िता प्रेग्नेंट युवती के लिए विंटर वेकेशन के दौरान हाईकोर्ट ने विशेष कोर्ट का गठन कर मंगलवार को मामले की सुनवाई की। रेप के बाद युवती प्रेग्नेंट हो गई है। वो 21-22 सप्ताह की गर्भवती है। इससे परेशान होकर उसने हाईकोर्ट की शरण ली है। युवती ने इसके लिए डॉक्टरों से भी राय ली, लेकिन उन्होंने मेडिको लीगल केस बताकर अबॉर्शन करने से इनकार कर दिया। युवती के लिए छुट्टी के दिन हुई सुनवाई
शीतकालीन अवकाश के दिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने विशेष कोर्ट का गठन कर जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल को केस की सुनवाई करने कहा। जस्टिस अग्रवाल ने मामले की सुनवाई के दौरान 7 जून 2024 को जारी अधिसूचना के अनुसार याचिकाकर्ता की मेडिकल जांच के लिए कलेक्टर को मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया। मेडिकल बोर्ड को 26 दिसंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टर करेंगे जांच
हाईकोर्ट ने युवती को मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है। मेडिकल बोर्ड में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलाजिस्ट/सोनोलाजिस्ट और अन्य आवश्यक विशेषज्ञ शामिल होंगे। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि युवती का अबॉर्शन हो सकता है या नहीं। राज्य सरकार को खर्च वहन करने के निर्देश
जस्टिस अग्रवाल ने युवती की मेडिकल जांच पर होने वाला पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करने कहा है। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को आदेश की प्रति तत्काल भेजने और मेडिकल बोर्ड गठित करने की प्रक्रिया जल्द सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। …………………………. हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… छत्तीसगढ़ में बच्ची की लाश से रेप:हाईकोर्ट ने नहीं दी सजा, कहा-यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता; मां की याचिका खारिज छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि, कानून में शव के साथ रेप करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता। इसलिए इस अपराध के लिए सजा का प्रावधान नहीं है। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने मृतका बच्ची की मां की याचिका को खारिज कर दिया है।
दरअसल, 9 साल की मासूम बच्ची की मां ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। इस फैसले के तहत बच्ची के शव के साथ दुष्कर्म करने के दोषी को सजा नहीं सुनाई थी। लोअर कोर्ट ने इस केस में महज सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए 7 साल की सजा सुनाई थी। पढ़ें पूरी खबर…