बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों के लिए बीरगांव में निकली रैली:‘छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा’ ने लगाई सभा, 21 दिनों से चल रहा प्रदर्शन
B.Ed सहायक शिक्षक अपनी सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर लगातार 21 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अलग-अलग संगठन आंदोलनकारी सहायक शिक्षकों को अपना समर्थन दे रहे है। इसी कड़ी में मजदूरों के संगठन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने रायपुर के बीरगांव में आमसभा और रैली निकालकर शिक्षकों के समर्थन में आए। बीरगांव में निकाली गई इस रैली में बर्खास्त सहायक शिक्षकों के अलावा बड़ी स्कूली छात्र और मजदूर शामिल हुए। इससे पहले शिक्षक संघ, कर्मचारी संघ और सामाजिक संगठनों ने नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में आकर शिक्षकों का सपोर्ट किया गया है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जरिए मजदूरों ने भी अपना समर्थन दिया। जारी है…सामूहिक अनशन सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर अब सहायक शिक्षक सामूहिक अनशन पर हैं। उनका कहना है कि आंदोलन मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा। नया रायपुर के धरना स्थल पर 14 दिसंबर से अनुनय यात्रा पर निकले B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन 19 दिसंबर को रायपुर पहुंचने के बाद तूता स्थित धरना स्थल में चल रहा है।उनकी मांगों को लेकर अब तक कोई फैसला सरकार ने नहीं लिया है। हांलाकि एक उच्च स्तरीय कमेटी जरूर बनाई गई है लेकिन इसकी कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है। B.Ed मामले में जानिए अब तक क्या हुआ बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की गई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे। धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद, शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल में ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन 26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा, ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है। 28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि,यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे। 29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे। 30 दिसंबर -पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए। 1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां की प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया। 3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं। 3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया। 6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया। 7 जनवरी – शालेय शिक्षक संघ ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया 8 जनवरी – बीरगांव में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने आमसभा की और रैली निकाली