चरणदास महंत ने निर्वाचन आयोग को भेजी चिट्ठी:निकाय और पंचायत चुनाव समय पर कराने की मांग, भूपेश बोले – चुनाव कराने से डर रही सरकार
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव समय पर किए जाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने राज्य निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखी है। महंत ने संवैधानिक नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि नगरीय निकाय और पंचायतों के तीनों स्तर में चुनाव तय समय पर ही होने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने पहले राज्यपाल को भी पत्र लिखा था लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिलने पर आयोग को चिट्ठी भेजी है। वहीं इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सरकार चुनाव कराने से डर रही है। पत्र में महंत ने लिखा है कि अनुच्छेद 243- के तथा 243-जेड ए के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है।आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है कि अनुच्छेद 243-इ और 243-यू के अनुसार समय पर चुनाव कराए जाएं । पंचायतों और नगर पलिकाओं के चुनाव के बाद आयोजित पहले अधिवेशन के लिए नियत तारीख से 5 साल की होती है और अवधि की समाप्ति के पहले नया निर्वाचन पूरा किया ही जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में इलेक्टेड पंचायतों की अवधि माह फरवरी 2025 की विभिन्न तारीखों में समाप्त होने जा रही है।जबकि नगर पालिकाओं की अवधि माह जनवरी 2025 की विभिन्न तारीखों में समाप्त होने जा रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई है। निकाय चुनाव से जुड़े संशोधन विधयकों को लेकर राज्यपाल को लिखा था पत्र चरणदास महंत ने इससे पहले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित 2 विधेयकों को असंवैधानिक बताते हुए राज्यपाल रामेड डेका को पत्र लिखा था। और ये बताया था कि विधेयकों के लागू होने के बाद नगर पालिकाओं में 5 साल की अवधि के भीतर चुनाव कराने की बाध्यता समाप्त हो जाएगी और 6 महीने की अतिरिक्त अवधि दी जा सकेगी। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 243-प(3)(क) का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक करार दिया था। और राज्यपाल को संवैधानिक प्रावधाने तहत विचार करते हुए जरूरी कार्रवाई करने की बात कही थी। भूपेश बोले – चुनाव कराने से डर ही है सरकार निकाय चुनाव और प्रदेश के नगर निगमों में प्रशासकों की नियक्ति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बहुमत के बल पर चुनाव को आगे बढ़ाने के लिए विधानसभा में संशोधन विधेयक लाकर पारित किया गया। उन्होंने कहा कि अभी निगमों में प्रशासक बैठे हैं। एक महीने बाद पंचायतों का कार्यकाल भी खत्म हो जाएगा। वहां भी प्रशासक बैठेंगे। ये एक देश एक चुनाव की बात करते हैं और स्थानीय चुनाव नहीं करा पा रहे हैं। क्योंकि सरकार चुनाव से डर रही है। चुनाव आगे बढ़ाने का असंवैधानिक कृत्य सरकार ने किया है। जिससे ये स्पष्ट है कि ये संविधान को नहीं मानते