केपीएस स्कूल के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज:भिलाई में उद्यान और पौधरोपण के नाम पर आवंटित जमीन में बना दिया स्कूल
दुर्ग जिले के भिलाई में संचालित कृष्णा पब्लिक स्कूल की सोसाइटी कृष्णा एजुकेशन सोसाइटी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है। सोसाइटी ने नगर निगम भिलाई से उद्यान और पौधरोपण के नाम पर जिस जमीन का आवंटन लिया, उसकी जगह पर स्कूल का निर्माण कर लिया। दरअसल, सुपेला पुलिस ने केपीएस ग्रुप के अध्यक्ष एमएम त्रिपाठी, सचिव, आर्किटेक्ट और निगम के अधिकारी कर्मचारी को भी आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ रवि शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में क्या कहा गया रवि शर्मा ने शिकायत में बताया कि, कृष्णा एजुकेशन सोसाइटी ने भिलाई नगर निगम के अधिकारियों ने मिलीभगत कर करोड़ों की जमीन का फर्जीवाड़ा किया है। उन्होंने निगम की कीमती जमीन का खसरा नंबर बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किया, फिर उस जमीन में कब्जा कर वहां स्कूल भवन बना लिया। सुपेला पुलिस के मुताबिक आरोप है कि सोसाइटी ने पटवारी हल्का नं-15, खसरा नं- 836/837 की आबंटित भूमि 22910/73089 कुल रकबा 95 हजार 999 वर्गफुट भूमि का खसरा नं 306 लिखकर फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया है। इसे लेकर उनके खिलाफ धारा- 419, 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। करोड़ों की जमीन का फर्जीवाड़ा कृष्णा एजुकेशन सोसाइटी (कृष्णा पब्लिक स्कूल) नेहरु नगर भिलाई को विद्यालय भवन बनाने के लिए मध्यप्रदेश शासन के समय साल 1986 में 60 हजार वर्ग-फिट जमीन का आबंटन किया था। उस जमीन का खसरा नंबर 306 है। इसके बाद छत्तीसगढ़ शासन ने साल 2005 में कृष्णा पब्लिक स्कूल से लगी हुई 95 हजार 999 वर्ग फिट जमीन का आवंटन पार्क उद्यान के लिए किया गया। इस जमीन का खसरा नंबर 836-837 था। साल 2007 में कृष्णा एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष एमएम त्रिपाठी, सचिव प्रमोद त्रिपाठी ने नगर निगम भिलाई के अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर खसरा नंबर 836-837 के स्थान पर खसरा नंबर 306 का उल्लेख किया। ऐसा कर पौधरोपण के लिए आरक्षित जमीन पर विद्यालय का भवन बना डाला। बिना जमीन जांचे निगम ने कर दिया नियमितीकरण इतना बड़ी फर्जीवाड़ा करने के बाद केपीएस ग्रुप ने साल 2007 में निगम से बिल्डिंग परमिशन ले लिया। इसके बाद उन्होंने निगम में आवेदन करके अतरिक्त निर्माण के लिए साल 2008 में भवन का नियमिती करण भी करा लिया। निगम के अधिकारियों ने बिना जमीन को जांच परखे ही उस भवन का नियमितीकरण भी कर दिया। इसके बाद साल 2016 में नगर निगम में इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन निगम के अधिकारियों ने इसे दबा दिया। बाद में कलेक्टर और निगम आयुक्त की जांच के बाद इस पर कार्रवाई की गई।