50% आरक्षण के निर्देश पर भाजपा ने बनाई व्यवस्था:जिला पंचायत अध्यक्ष में भाजपा सामान्य की आधी सीटों पर उतारेगी ओबीसी चेहरे
प्रदेश में 33 जिला पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण शनिवार को पूरा हो गया। इसके पहले भाजपा ने ओबीसी आरक्षण को लेकर आंतरिक व्यवस्था कर ली है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी भी राज्य में 50% से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता है। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अनुसूचित जाति(एससी) का आरक्षण ही इतना है, ऐसे में ओबीसी के लिए अलग से आरक्षण नहीं मिल पाएगा। दो दिन पहले भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में प्रभारी नितिन नबीन के सामने मंत्री अरुण साव ने सामान्य की आधी सीटों पर ओबीसी चेहरे उतारने का प्रस्ताव रखा था। इसे प्रदेश अध्यक्ष किरणसिंह देव ने सर्वसम्मति से पास किया। अब 13 जिले अनारक्षित रखे गए हैं। इसमें से 7 जिलों में ओबीसी चेहरे उतारने की तैयारी चल रही है। पहले ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता था।इस आधार पर 5-6 उम्मीदवार ओबीसी चेहरे के उतरते थे।
जाति प्रमाण पत्र की विवेचना करेगी टीम
आरक्षित सीटों पर हर बार फर्जी जाति प्रमाण पत्र के एक-दो मामले सामने आते हैं। इस बार भाजपा ने इस पर सख्ती करने का निर्णय लिया है। संगठन स्तर पर एक टीम तैयार की जाने वाली है। इसका काम होगा हर जाति प्रमाण पत्र की विवेचना करना। अगर कोई कार्यकर्ता गलत प्रमाण पत्र लगाकर चुनाव में उतरता है तो उसकी सदस्यता भी रद्द की जा सकती है। महासमुंद-कवर्धा में ओबीसी चेहरे उतरेंगे भाजपा ने त्रिस्तरीय चुनाव के लिए एक समिति का गठन कर दिया है। यह समिति ऐसे जिलों की पहचान कर रही है, जो ओबीसी बाहुल्य हैं। महासमुंद-कवर्धा दो जिलों को चिन्हित भी कर लिया गया है। बाकी 5 से 6 जिले और चिन्हित किए जा रहे हैं। भाजपा ने चयन का फॉर्मूला भी बनाया
जिला पंचायत अध्यक्ष और नगर निगम महापौर के लिए भाजपा ने चयन का फॉर्मूला तय कर लिया है।
{जिला पंचायत और नगर निगम में भाजपा के जितने मंडल हैं, वे तीन नामों का पैनल भेजेंगे। जैसे रायपुर में 20 मंडल हैं तो वे तीन-तीन नाम भेजेंगे।
{जिला समितियां इसमें से कॉमन नामों को छांटेंगी और कुछ प्रबल दावेदारों को चिन्हित कर 5-6 नाम संभाग में भेजेंगी।
{संभागीय समिति इसमें से दो या एक नाम तय कर प्रदेश चुनाव समिति को भेजेगी। यहां एक नाम तय होगा। उस नाम की घोषणा संभाग करेगा।
(नोट- पार्षद और जनपद पंचायत के लिए भी यही फार्मूला है। लेकिन, उनके नाम संभागीय समिति के अनुमोदन के बाद जिला समितियां घोषित करेंगी)