रायपुर में लगातार दूसरे दिन खाद्य विभाग की बड़ी कार्रवाई:पाउडर वाले दूध से पनीर बना रहे थे 3700 किलो जब्त, फैक्ट्री भी सील
खाद्य विभाग की टीम ने लगातार दूसरे दिन बाजार में खपाने से पहले मिलावटी पनीर फैक्ट्री में छापेमारी की। यहां 3700 किलो पनीर जब्त किया गया। फैक्ट्री में स्किम्ड मिल्क पावडर को टंकी के पानी में घोलकर पनीर बनाया जा रहा था। स्किम्ड मिल्क पाउडर को प्लास्टिक के ड्रम में रखकर घोला जा रहा था, वहां गंदगी थी। फैक्ट्री में कहीं भी सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा था। मछली रखने वाले थर्माकोल से बने बॉक्स में पनीर को रखा जाता है। इस कार्रवाई के बाद फैक्ट्री सील कर दी गई है। आगे की कार्रवाई रिपोर्ट लैब की आने के बाद की जाएगी। जब्त पनीर व कच्चे माल की कीमत करीब 20 लाख बताई गई है। खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीरगांव से करीब 5 किमी दूर निमोरा ब्रिज के पास फैक्ट्री एसजे डेयरी प्रोडक्ट्स के नाम से चल रही थी। फैक्ट्री आकाश बंसल की है, लेकिन कार्रवाई के दौरान हिमांशु बंसल मौजूद था। बता दें कि पिछले माह 28 नवंबर को आकाश ने सामान्य उत्पाद के निर्माण के नाम से लाइसेंस लिया था। पहले यह कंपनी जगन्नाथ डेयरी प्रोडक्ट्स के नाम से चल रही थी। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें यह सूचना मिली थी कि यह फैक्ट्री करीब 6 माह से चल रही है। यहां नकली पनीर बनाने का काम हो रहा है। इसके बाद विभाग ने मंगलवार को यहां छापेमार कार्रवाई की है। न न्यूट्रिशन सर्टिफिकेट, न ही हेल्थ सर्टिफिकेट खाद्य सुरक्षा अधिकारी सिद्धार्थ पांडे ने बताया कि यहां पनीर सिर्फ स्किम्ड मिल्क पाउडर से बनाया जा रहा था। पूरी फैक्ट्री में दूध की एक बूंद भी नहीं थी। कंपनी का न्यूट्रीशन वैल्यू सर्टिफिकेट नहीं था। इसके अलावा यहां स्टाफ के पास भी हेल्थ सर्टिफिकेट नहीं था। कंपनी अन हाइजनिक कंडीशन में चल रही थी। सभी ओर गंदगी फैली थी। यहां स्टॉक मेंटेन भी नहीं किया जा रहा था। इसके साथ ही यहां पेस्ट कंट्रोलर नहीं थे। कार्रवाई करीब 4 घंटे तक चली। इस दौरान मालिक ने न तो कोई दस्तावेज प्रस्तुत किए, न ही कोई डिक्लेरेशन दिया। अधिकारियों को ये भी नहीं बताया कि कच्चा माल कहां से आता है और पनीर बनाकर कहां भेजा जाता है। इन सभी को आधार बनाकर माल जब्त करने के साथ फैक्ट्री सील कर दी। सैंपल भी लिया गया है। भास्कर लाइव – फैक्ट्री में चारों तरफ गंदगी
भास्कर की टीम मंगलवार को दोपहर करीब 2 बजे फैक्ट्री पहुंची। सामने गेट के पास ही मछली रखने वाली करीब 200 पेटी रखी थी। इसी में पनीर को पैक किया जा रहा था। गेट के बाहर ही पानी गर्म कर भाप बनाने की बॉयलर की मशीन लगी थी थी, जहां से पानी टपक रहा था। फैक्ट्री के भीतर बायीं ओर एक गलीनुमा जगह पर स्किम्ड मिल्क पाउडर की करीब 100 बोरी रखी हुई थी। उसी के पास कोने में प्लास्टिक के दो ड्रम रखे हुए थे। एक ड्रम में पानी दूसरे में मिक्सचर मशीन लगी थी। प्लास्टिक के ड्रम में ही स्किम्ड मिल्क पाउडर को पानी में मिलाया जा रहा था। उसमें गंदगी भरी थी, बदबू भी आ रही थी। मिक्सचर के घोल को प्लास्टिक के ड्रम से निकालकर आयताकार सांचे में भाप में पकाकर पनीर का रुप में जमाया जा रहा था। पनीर जमाने वाला सांचा भी काफी गंदा था। सांचे में जमे पनीर को निकालकर बर्फ से भरे हुए बड़े-बड़े बर्तन में डालकर जमाया जा रहा था। यहां इसके लिए करीब 5-6 बर्तन थे। यहां कुछ घंटे ठंडे में रखने के बाद पनीर को दूसरे टेबल पर, जहां नापने की मशीन रखी हुई है, वहां लाकर एक और पांच किलो की अलग-अलग साइज में काटकर पैकेट में पैक किया जा रहा था। इन सभी को स्टोर करने के लिए मछली की पेटी वहीं रखी थी। इसी में पनीर को स्टोर और सप्लाई किया जा रहा था। खुले में रखे पनीर में मक्खियां झूम रही थी। फैक्ट्री के ऊपरी हिस्से में टिन का शेड था, जो ऊपर से खुला हुआ था। वहां से धूल-डस्ट भी अंदर आ रहे थे।