BJP में हो गई नियुक्ति,कांग्रेस में लिस्ट का इंतजार:जिला अध्यक्षों से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी की नियुक्ति में भी पिछड़ी कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रायपुर, दुर्ग, भिलाई, कोरबा समेत 15 संगठन जिलों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। लेकिन इस मामले में विपक्षी पार्टी कांग्रेस पिछड़ गई है। बीजेपी की घोषणा के बाद कांग्रेस पर भी नामों का ऐलान जल्दी किए जाने का दबाव बढ़ा है। क्योंकि लेटलतीफी का असर निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारियों पर भी दिखाई दे रहा है। संगठन में कई नेता और कार्यकर्ता नियुक्तियों पर नजर जमाए हुए हैं। नामों की घोषणा के बाद ही निकाय चुनाव में दावेदारी को लेकर फैसला लिया जाएगा। इसलिए पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं नामों के ऐलान का इंतजार कर रहे है। इसके अलावा प्रदेश कार्यकारिणी के भी उपाध्यक्ष और महामंत्री जैसे पदों पर भी साल भर से नियुक्ति अटकी पड़ी है। शहर और ग्रामीण मिलाकर 30 जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए पिछले कुछ महीनों से एक्सरसाइज चल रही थी। दो बार पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज दिल्ली दौरा कर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक शहर और ग्रामीण मिलाकर 30 जिला अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। इसमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, धमतरी जैसे जिले शामिल है। दिल्ली में प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के बाद यह फैसला लिया गया है। कांग्रेस संगठन में वर्तमान में ज्यादातर जिला अध्यक्षों के कार्यकाल का 3 से 5 साल पूरा हो चुका है। इनमें चुनिंदा जिला कांग्रेसकमेटियों का ही परफार्मेस बेहतर रहा है। बीते एक साल से नियुक्तियों को लेकर उठापटक होती रही है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद नए प्रभारी के तौर पर कामकाज संभालते ही सचिन पायलट ने जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर निर्देश दिए थे। इस मामले में एक बार पहले भी प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन मामला अटक गया। दूसरी बार फिर से एक्सरसाइज पूरी की गई है लेकिन इस बार भी घोषणा के मामले में लेटलतीफी हुई। जिला संगठनों में बदलाव की बीते एक साल से चर्चाओं ने जोर पकड़ा था। इसके चलते ही कई जिला संगठनों के कामकाज पर भी असर नजर आया। नए साल में लिस्ट आने की बात कही थी बैज के बस्तर दौरे से पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से हुई बातचीत में उन्होंने बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह निधन की वजह से पार्टी में 3 तारीख तक कोई गतिविधि नहीं होगी। और इसके बाद लिस्ट कभी भी आ सकती है। हांलाकि 6 जनवरी तक फिलहाल कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है। संगठन में नेताओं की सक्रियता कम हुई संगठन में होने वाले बदलाव के चलते पार्टी की गतिविधियों में नेताओं की सक्रियता भी कम दिखाई दे रही है। जिससे पार्टी के कामकाज, निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारियों पर भी विपरित असर पड़ा है। हांलाकि पिछली गलतियों से भी कांग्रेस ने सबक नहीं लिया है। जिलों में नए नेतृत्व के कामकाज संभालने के बाद पार्टी में हमेशा से ही तालमेल बनाने की चुनौती रही है। जिला अध्यक्षों और स्थानीय विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल का भी अभाव रहा है। जिसकी शिकायत पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से बैठक के दौरान कई विधायक कर चुके हैं। ऐसे में निकाय चुनाव से ठीक पहले अगर नियुक्तियां होती है तब जिला अध्यक्षों को तालमेल बिठाने और चुनाव के लिए काम करने के लिए काफी कम वक्त मिलेगा।