राजधानी में 10 साल बाद फिर महिला मेयर:आरक्षण तय होते ही दिग्गजों की पत्नियों के नाम की चर्चा शुरू

राजधानी रायपुर को 10 साल बाद फिर महिला महापौर मिलना तय हो गया है। मंगलवार को आरक्षण में रायपुर मेयर की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई है। 2009 में भी रायपुर मेयर की सीट अनारक्षित महिला हुई थी। उस समय कांग्रेस प्रत्याशी किरणमयी नायक भाजपा की उम्मीदवार प्रभा दुबे को हराकर रायपुर की पहली महिला महापौर बनी थी। इस बार केवल रायपुर ही नहीं राजधानी से सटे बिरगांव नगर निगम की सीट भी सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई है। 2014 में बिरगांव सीट महिला ओबीसी के लिए आरक्षित हुई थी। साइंस कालेज ऑडिटोरियम में सुबह साढ़े 10 बजे महापौर सीट के लिए आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि आरक्षण के लिए अपनाए जा रहे रोटेशन सिस्टम, ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने कड़ी आपत्ति की। आपत्तियों के निराकरण के बाद आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई। आरक्षण प्रक्रिया के विरोध में भाजपा नेता अधिक मुखर रहे
आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर नगर निगम के पूर्व सभापति और भाजपा नेता प्रफुल्ल विश्वकर्मा ने आपत्ति की। उन्होंने रोटेशन सिस्टम को लेकर कहा कि किस आधार पर रोटेशन चल रहा है कि रायपुर को पिछले चार बार में एक बार भी ओबीसी आरक्षण का मौका नहीं मिला। रोटेशन कब से शुरू हुआ है। भाजपा नेता मृत्युंजय दुबे ने कहा कि ओबीसी के आरक्षण के लिए 2024 में ओबीसी सर्वे का आधार लिया जा रहा है, लेकिन एससी, एसटी के लिए 2011 की जनसंख्या का आधार लिया गया। यह एससी, एसटी के साथ अन्याय है। कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे ने कहा कि हम आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर महीनेभर पहले से आवाज उठा रहे हैं। इसे क्यों गोपनीय रखा जा रहा था। भाजपा नेताओं ने ही सबसे ज्यादा आपत्ति कर हमारी बातों को सही ठहराया है। भाजपा नेत्री मीनल चौबे ने भी आरक्षण में रोटेशन के सिस्टम और एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए प्रक्रिया को स्पष्ट करने की मांग की। ये दिग्गज जिनके नाम आरक्षण के बाद आए चर्चा में

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