15 गोली लगने बाद भी 6 पाकिस्तानी मारे:छोटी मुश्किलों में डिप्रेस होने वाले यूथ से बोले परमवीर योगेंद्र- मैंने तब हार नहीं मानी,आप क्यों परेशान
रिश्तों, रुपए-पैसे, सेहत और कई तरह की सामाजिक परिस्थितियों चलते यूथ डिप्रेशन में है। मगर ये परेशानियां उतनी बड़ी नहीं, जितना हमारा मन इन्हें बना लेता है। सोचिए कि आपके शरीर में 15 गोलियां मार दी जाएं, हाथ तोड़ दिया जाए, बर्फ के पहाड़ पर आप अपने साथियों को मरता देख चुके हों, क्या होगी आपकी मनोदशा। इन हालातों में भी एक शख्स ऐसे रहे जिसने घिसटते हुए 6 पाकिस्तानियों को मार गिराया और करगिल की लड़ाई में टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया गया। आज साल 2025 के पहले दिन पढ़िए परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव की दैनिक भास्कर से की गई खास बात-चीत जो उन्होंने इन दिनों डिप्रेस हो जाने वाले युवाओं के लिए कहीं। करगिल लड़ाई का सबसे मुश्किल वक्त
परमवीर योगेंद्र यादव ने दैनिक भास्कर से कारगिल वॉर के सबसे मुश्किल सिचुएशन को लेकर किस्सा बताते हुए कहा- मैं युवाओं को देखता हूं कि जीवन की छोटी सी समस्याएं आती हैं और हम इतने डिप्रेस हो जाते हैं, हमें लगता है कि जीवन बेकार है। लेकिन जीवन एक बेहद सुंदर चीज है। मेरे सामने ऐसे हालात थे कि टाइगर हिल के पर मुझे भाई से भी अधिक प्रिय मेरे साथी एक-एक करके शहीद होते चले गए। मेरा पूरा शरीर मेरा लहूलुहान था। 15 गोलियां लगीं थीं फिर भी मैंने उस समय हिम्मत नहीं हारी। बदला लेना था। कुछ करना था। योगेंद्र आगे कहते हैं- दूर-दूर तक कोई इंसान नहीं नजर आ रहा था। चारों तरफ बर्फ पहाड़ दुश्मन और गोलीबारी के सिवा कुछ नहीं। पैर में इतनी गोलियां लगी थी की मसल्स निकलकर बाहर थे। फिर भी मैंने ग्रेनेड से हमला किया। पाकिस्तानी सैनिक को मारा उसकी राइफल उठाने की कोशिश करी तो मुझे पता चला कि मेरा हाथ टूट चुका है, हड्डी बाहर निकल चुकी है । हाथ बस लटका हुआ था। फिर दूसरे हाथ से राइफल उठाकर फायरिंग की पांच को मारा। हाथ को उठाकर पीठ पर फेंका बेल्ट से फंसाया घिसटते नीचे आया। 16 महीने अस्पताल में बीते
परमवीर योगेंद्र ने बताया- मेरा इतना लहू बह चुका था कि मुझे दिखाई देना बंद हो चुका था , मेरे कमांडिंग ऑफिसर ने मुझसे कहा कि क्या बेटा तुम मुझे पहचानते हो, मैं तुम्हारा कमांडिंग ऑफिसर कुशालचंद ठाकुर। मैंने कहा जय हिंद साहब बहुत ठंड लग रही है, कुछ दिखाई नहीं दे रहा। उन्होंने कुछ रूम हीटर चलाया मुझे ग्लूकोस पिलाया फिर मैंने उन्हें दुश्मन की सारी पोजिशनिंग के बारे में जानकारी दी इसके बाद प्लानिंग के बाद हमला हुआ, मैं बेहोश हो गया। तीन दिन बाद श्रीनगर अस्पताल में आंख खुली। फिर दिल्ली ले जाया गया मैं 16 महीने अस्पताल मंे था। 2024 में करगिल के 25 साल पूरे हुए हैं, इस लड़ाई में 527 से अधिक सैनिक शहीद हुए। पापा ने आखिरी बार क्या कहा ?
योगेंद्र ने बताया- मेरा सौभाग्य है कि मैं करगिल के शहीदों में 300 से ज्यादा परिवारों से मिल चुका हूं। जब लास्ट अटैक के लिए चलते हैं तो कमांडर हमें बोलते हैं की लास्ट लेटर लिख दो अपने परिवार को। हम क्या लिख सकते हैं यही लिख सकते हैं कि हम ठीक है आप अपना ध्यान रखना। लड़ाई में जाते वक्त मेरे साथी कहते थे यार मैं मर जाउं तो मेरे घर जाकर देखना कि बच्चे क्या कर रहे हैं। मैं शहीदों के बच्चों से मिला वो मुझसे पूछते हैं कि पापा ने क्या बोला लास्ट में… कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जिन्होंने अपने पापा को देखा ही नहीं वो मां के गर्म में थे। (ये कहकर परमवीर यादव कुछ सेकेंड के लिए चुप हो गए)मैं उन वीरांगनाओं को सैल्यूट करता हूं जो इसके बाद डिप्रेस नहीं हुईं, बल्कि अपने बच्चों को उन्होंने काबिल बनाया है।
आज के यूथ में इस बदलाव की जरूरत है
परमवीर योगेंद्र यादव ने कहा कि बीते 2 सालों में मैं साढ़े 3 लाख यूथ से मिला हूं। सब रील्स बनाते हैं, आधी रात तक लाइक चेक करते हैं। मोबाइल बोलता है और हमें चुप रहना सीखना है, किताबें चुप रहकर हमें बोलने के काबिल बनाती हैं, यूथ किताबों से दूर होते चले जा रहा है। युवा सुबह जल्दी उठ नहीं पाते। अब सुबह आप जल्दी नहीं उठेंगे तो आपके अंदर पॉजिटिव एनर्जी नहीं रहेगी । इसके लिए पेरेंट्स और टीचर्स यूथ को ऐसा माहौल दें कि मोबाइल फोन का कम से कम यूज हो। किताबें और स्पोर्ट्स से यूथ का नाता जुड़े तो बेहतर होगा। मैं मौत को जी चुका हूं
परमवीर को किससे डर लगता है ये पूछे जाने पर योगेंद्र यादव ने कहा- देखिए इंसान मरने से डरता है, अंत में सबसे बड़ा जोखिम इस शरीर और जीवन का यही है कि कहीं मैं मर तो नहीं जाउंगा। अंत में तो मौत ही है। तो मैंने तो मृत्यु काे बेहद करीब से देखा है, मौत इतनी सुंदर होती हैं मरने से क्या डरना। मैं तो मौत को जीने लगा हूंं, मौत के बाद क्या है सब शांत हो जाता है। हम रोज रात में जब सोते हैं तो समझिए शरीर को अगले दिन नया जीवन ही तो मिलता है न तो जब सुबह उठे तो पूरी योग्यता और शक्ति हम उस दिन में लगा दें तो दिन खूबसूरत दिन होगा, ऐसा हर रोज करें तो जीवन खूबसूरत होगा।
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भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान ने 16 दिसंबर के दिन घुटने टेके थे। रायपुर के कर्नल जंग शमशेर सिंह कक्कड़ 1971 की जंग में भी शामिल थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में कक्कड़ ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सीक्रेट ऑपरेशन की तैयारी के दौरान सांप खाया था।पढ़ें पूरी खबर