हवाई दावे:नशामुक्ति के प्रचार पर 37 में से 25 करोड़ लुटाए, कहीं बैनर-पोस्टर तक नहीं दिखते

प्रदेश में नशाखोरी के खिलाफ महिला बाल विकास विभाग ने 4 साल में प्रचार-प्रसार पर ही 25 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। जबकि विभाग को केवल 37.225 करोड़ रुपए का ही बजट मिला। यानी दो तिहाई राशि प्रचार में लुटा दी गई। विभाग का दावा है कि प्रचार के लिए पंपलेट वितरण, बैनर पोस्टर के साथ विज्ञापन प्रकाशित का सहारा लिया गया। होर्डिंग्स, डिबेट और प्रचार रथ के जरिये लोगों को नशे के खतरे बताते हुए लोगों सजग करने का प्रयास किया गया। इसी दौरान प्रदेश के हर जिले के नशामुक्ति केंद्रों पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए गए। उसके बाद भी नशेड़ियों की संख्या में कमी आने के बजाय बढ़ती जा रही है। इसकी पुष्टि नशा मुक्ति केंद्रों में बढ़ रही संख्या है। हालत ये है कि सरकारी अनुदान प्राप्त नशा मुक्ति केंद्रों में नशे से निजात दिलाने के लिए 15 दिन से एक महीने तक की वेटिंग है। विभाग के प्रचार के दावों की हकीकत पता करने जब भास्कर अलग-अलग जगह पहुंचा, तो ये हवाई निकले। बैनर-पोस्टर से
लेकर दीवार लेखन का निशान तक नहीं मिला। केंद्र ने हाल ही में नशाखोरी को लेकर प्रदेश में सर्वे कराया था, जिसमें 35% अल्कोहल और 4.98% भांग व सूखा नशा करने वाले मिले। सूखे नशे में गोली और ड्रग्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है। राजधानी के आउटर में पंजाब से ड्रग्स लाकर यहां सप्लाई करने वाले पकड़े जा चुके हैं। नशा मुक्ति केंद्रों और जिलों में 3.19 करोड़ रु. कर रही खर्च
पड़ताल में पता चला कि प्रदेश में भारतमाता वाहिनी योजना आबकारी विभाग संचालित करता था। 2021 में जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई। अभी इस योजना के तहत प्रदेश में 22 नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं। इसमें 13 केंद्रों को राज्य सरकार और दो केंद्र सरकार और 6 नशामुक्ति केंद्र प्राइवेट संस्था चला रही है। ये केंद्र रायपुर, दुर्ग, धमतरी, सरगुजा, रायगढ़, कोण्डागांव, कांकेर, बलरामपुर और बालोद सहित कुल 13 जिलों में संचालित हो रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के आंकड़े के अनुसार एक साल में महज 1980 नशेड़ियों को ही इसका लाभ मिल पा रहा है। समाज कल्याण विभाग ने इन केंद्रों पर एक साल में सिर्फ 2 करोड़ 86 लाख और प्रदेश के 33 जिलों को प्रचार-प्रसार के लिए 33 लाख रुपए दिए हैं। विभाग ने एक साल में 3 करोड़ 19 लाख रुपए ही खर्च किए हैं। सर्वे: 35% अल्कोहल व 4.98% भांग व सूखा नशा करने वाले लोग भास्कर लाइव: आउटर में भी नहीं दिखे बैनर और पोस्टर भास्कर टीम ने तीन दिनों तक जिले के अलग-अलग विकासखंड में नशे के प्रति जागरूक करने के लिए लगाए गए बैनर पोस्टर और होर्डिंग्स की पड़ताल की। बाइक से सर्वे के दौरान होर्डिंग्स-पोस्टर तो दूर दीवारों पर कहीं भी नशे के खिलाफ कोई संदेश लिखा नजर नहीं आया। अलबत्ता पुलिस की ओर से चलाए जा रहे निजात अभियान के बैनर, पोस्टर और वॉल राइटिंग लगभग हर जिले में दिखे दी। तिल्दा में टीम को वहां जिला पंचायत सदस्य राजू शर्मा ने बताया उन्हें नहीं मालूम यहां कभी प्रचार-प्रसार हुआ है। आरंग के पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने अपने आस-पास के इलाके की ओर इशारा करते हुए उल्टा सवाल किया, दिखाइए कहां है नशे के खिलाफ प्रचार का बैनर? यही स्थिति राजधानी की है। किसी कक्ष में योग, तो कहीं मेडिटेशन टाटीबंध स्थित संगी मितान सेवा संस्थान नशा मुक्ति केंद्र। दोपहर के करीब 1 बज रहे थे। टीम को यहां भी रिसेप्शन पर ही रोक दिया गया। उन्होंने कहा- अंदर क्या चल रहा है आप टीवी की स्क्रीन पर देख सकते हैं। टीवी स्क्रीन पर केंद्र के अलग-अलग हिस्से में लगे कैमरे का छोटा लाइव दृश्य दिख रहा था। इसमें 10-12 लोगों के अलग-अलग बैच दिख रहे थे। किसी बैच को योग करवाया जा रहा था तो किसी को मेडिटेशन। रिसेप्शन पर बताया गया कि परिजन को भी टीवी की स्क्रीन पर ही दिखाया जाता है कि भीतर क्या हो रहा है। नशा मुक्ति केंद्र फुल, रजिस्ट्रेशन के 15 दिन बाद आता है बुलावा
शंकर नगर के संकल्प सांस्कृतिक नशामुक्ति केंद्र में एंट्री करते ही रिसेप्शन पर रोक दिया गया। परिचय देने पर उन्होंने डायरेक्टर मनीषा शर्मा से मिलवाया। उन्होंने टीवी की स्क्रीन की ओर इशारा किया। कहा- देखिए हम ऐसे मॉनिटरिंग करते हैं। नशे की लत वाले 15 युवाओं को एक महीने तक रखते हैं। उन्होंने कहा कि 18 से 20 साल तक के युवक ज्यादा लाए जाते हैं। सीटें कम होने से लोगों को वेटिंग नंबर दिया जाता है। सीट खाली होने पर बुलाया जाता है। नशे के खिलाफ पूरे प्रदेश में अभियान चलाने के साथ नशेड़ियों को सुधारने मुक्ति केंद्र भी चलाए जा रहे हैं। अभी तक ऐसी शिकायत नहीं मिली है कि प्रचार नहीं हो रहा है। सर्वे करवाकर पता लगाएंगे कि कहां-कहां और कितने दिनों तक प्रचार किया गया है।
भुवनेश यादव, सचिव, समाज कल्याण विभाग

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