उत्तराखंड:बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शंकराचार्य ने ज्योतेश्वर महादेव मंदिर में किया था तप

अभी सावन माह चल रहा है। इस माह में शिवजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। आज जानिए एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में, जिसका संबंध आदि गुरु शंकराचार्य जी से है। उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में ज्योतेश्वर महादेव नाम का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का संबंध आदि गुरु शंकराचार्य जी से है। बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवनचंद उनियाल के मुताबिक शंकराचार्य जी ने देश में चार मठों की स्थापना की थी और पहला मठ ज्योर्तिमठ बनाया था।

माना जाता है कि ज्योतेश्वर महादेव मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्यजी ने करीब 5 वर्षों तक तपस्या की थी। उस समय बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी हर साल छह माह इसी स्थान पर निवास करते थे।

ज्योतेश्वर महादेव मंदिर के ठीक पीछे एक कल्पवृक्ष है। इस पेड़ को शंकराचार्य जी के काल का माना जाता है। इस मंदिर के पुजारी उनियाल लोग हैं। इस समय उनियाल परिवार के पुजारी महिमानंद उनियाल इस मंदिर पूजन कर्म करते हैं।

चामोली से जोशीमठ करीब 101 किलोमीटर दूर है। चामोली पहुंचने के बाद प्राइवेट टैक्सी या अन्य साधन से जोशीमठ आसानी से पहुंच सकते हैं।

शीतकाल के समय नरसिंह मंदिर में होती है भगवान बद्रीनाथ की पूजा

ठंड के दिनों में जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद रहते हैं, तब जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में भगवान बद्रीनाथ की पूजा की जाती है। शीतकाल के लिए यहीं बद्रीनाथ जी गद्दी विराजित रहती है। यहीं भगवान बद्रीनाथ की पूजा की जाती है। सालभर नरसिंह मंदिर में श्रद्धालुओं पहुंचते हैं।

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