LIC IPO: क्या वाकई एलआईसी के आईपीओ को खरीदने से कतरा रहे हैं लोग? सिक्के का दूसरा पहलू समझते ही बदल जाएगी आपकी सोच!

LIC IPO: देश का सबसे बड़ा (India’s Biggest IPO) एलआईसी का आईपीओ खुल चुका है। एलआईसी आईपीओ पहले ही दिन 67 फीसदा सब्सक्राइब (LIC IPO Subscription Status) हुआ और दूसरे दिन 1.17 फीसदी तक सब्सक्राइब हो गया। वहीं आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम 85 रुपये से गिरते-गिरते 42 रुपये (LIC IPO GMP) आ गया है। सवाल ये है आखिर किस वजह से एलआईसी का ये आईपीओ कम सब्सक्राइब हो रहा है। इसकी वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

नई दिल्ली: देश का सबसे बड़ा आईपीओ (India’s Biggest IPO) खुल चुका है। यह आईपीओ देश की सबसे बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का है। आईपीओ 4 मई को खुल चुका है और 9 मई को बंद (LIC IPO Dates) होगा। इसके खुलने से पहले तक लोगों में इसे आईपीओ का जितना क्रेज दिख रहा था, सब्सक्रिप्शन के आंकड़े उतने शानदार नहीं हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एलआईसी के आईपीओ की मांग कम दिख रही है। तो आखिर क्या वजह है कि जिस आईपीओ का लोगों को बेसब्री से इंतजार था, उस पर वह अभी टूटते हुए नहीं दिख रहे हैं।

इसे एक संयोग ही समझिए कि जिस दिन एलआईसी का आईपीओ खुला, उसी दिन भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक खत्म हुई। बैठक में फैसला किया गया कि रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.4 फीसदी किया जाएगा। एक झटके में रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाया जाना निवेशकों को डराने के लिए काफी है। यही वजह है कि 4 मई को रेपो रेट बढ़ाए जाने की घोषणा के चलते सेंसेक्स में करीब 1300 अंकों की भारी गिरावट देखने को मिली। दरअसल, रेपो रेट बढ़ाए जाने का मतलब है कि अब लोन महंगे हो जाएंगे, जबकि देश पहले से ही महंगाई की मार झेल रहा है। हालांकि, रेपो रेट बढ़ाए जाने की वजह भी यही है कि केंद्रीय बैंक महंगाई पर लगाम लगाना चाहता है और रेपो रेट बढ़ाना महंगाई को काबू में करने का सबसे मजबूत टूल होता है। इससे बाजार में पैसों की सप्लाई घटेगी और महंगाई काबू में आएगी।

शेयर बाजार में गिरावट का निवेशकों के सेंटिमेंट पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। इसके असर का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खुद एलआईसी ने रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बाजार में आई गिरावट को देखते हुए आईपीओ लाने की योजना को टाल दिया था। इतना ही नहीं, पहले जहां एलआईसी की वैल्यू 12 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी, वह इस बार आधी यानी सिर्फ 6 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। ऐसे में बाजार की गिरावट जब देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी को डरा सकती है तो आम आदमी के अंदर तो डर पैदा कर ही सकती है।

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