G20 भ्रष्टाचार रोधी बैठक : भारत का भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए बहुपक्षीय कार्रवाई पर जोर
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भ्रष्ट लोग अपराध से अर्जित आय को ठिकाने लगाने का एक तरीका ढूंढते हैं और ‘यह ऐसी रकम है, जिसका इस्तेमाल गलत कृत्यों में किया जाता है.’
गुरुग्राम:
भारत ने जी20 देशों के भ्रष्टाचार निरोधी कार्य समूह की गुरुग्राम में बुधवार को आयोजित बैठक में, भगोड़े आर्थिक अपराधियों का त्वरित प्रत्यर्पण और चोरी की संपत्ति की विदेशों से जब्ती सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय समन्वय के बजाय बहुपक्षीय कार्रवाई पर जोर दिया. उद्घाटन सत्र में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भ्रष्ट लोग अपराध से अर्जित आय को ठिकाने लगाने का एक तरीका ढूंढते हैं और ‘यह ऐसी रकम है, जिसका इस्तेमाल गलत कृत्यों में किया जाता है.’
जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह आंतकवादी वित्त पोषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है। युवाओं का जीवन बर्बाद करने वाले मादक पदार्थों के उत्पादन से लेकर मानव तस्करी तक, लोकतंत्र को कमजोर करने वाली गतिविधियों से लेकर अवैध हथियारों की बिक्री तक, यह काली कमाई कई विनाशकारी कृत्यों का वित्त पोषण करती है.” उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को जी20 देशों के बीच सूचनाओं के सक्रिय आदान-प्रदान के जरिये संपत्ति की जब्ती के लिए और भी तेजी से काम करने की जरूरत है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसलिए बेहतर समन्वय, न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित बनाने और मामलों के समय पर निपटान के लिए द्विपक्षीय समन्वय के बजाय बहुपक्षीय कार्रवाई की आवश्यकता है.” उन्होंने कहा कि वित्तीय या बैंकिंग धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जिनकी जांच प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत की गई और इन मामलों में उच्च संपत्ति वाले लोग शामिल थे, जिनकी अपराध से आय एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक थी. सिंह ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि अपराधी अपराध का पता चलने से पहले या बाद में देश छोड़कर भाग गए और यही कारण है कि उनकी यात्रा को प्रतिबंधित करने के मकसद से उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया.
जितेंद्र सिंह ने कहा, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लगभग 180 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति हस्तांतरित की है, जिन्हें कथित रूप से अत्यधिक संपन्न व्यक्तियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण लगभग 272 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है.” मंत्री ने कहा कि अनुरोध पत्र (एलआर) के जरिये विदेशी प्रशासन से संपत्ति से जुड़ी जानकारी जुटाने की प्रक्रिया शुरू करने के बावजूद यह पाया गया है कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल बनी रहती है, जिससे अपराध की जांच और सुनवाई में देरी होती है.
जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह हमारा सुविचारित मत है कि देश और विदेश, दोनों में अपराध से अर्जित आय या संपत्ति की त्वरित जब्ती के लिए तंत्र को मजबूत किए जाने से अपराधी अपने देश लौटने के लिए मजबूर हो जाएंगे.” सिंह ने कहा कि ऐसा होने से, संबंधित अपराध की प्रभावी जांच और त्वरित सुनवाई में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, “इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों व कर अधिकारियों को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई चूक से जब्ती करने में मदद मिलेगी. साथ ही संबंधित राशि के दुरुपयोग की आशंका समाप्त करते हुए इन बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की स्थिति में कुछ हद तक सुधार लाया जा सकेगा.”
सिंह ने भ्रष्टाचार को सभी देशों को प्रभावित करने वाली एक जटिल सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक चुनौती करार दिया. उन्होंने कहा, “वैश्वीकृत दुनिया में, भ्रष्टाचार का असर जी20 के दायरे तक सीमित नहीं है। यह संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, बाजार में विकृतियां पैदा करता है, नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर डालता है, वैश्वीकरण के लाभों को कमतर करता है और आर्थिक विकास एवं समग्र शासन को प्रभावित करता है। यह गरीबों और हाशिये पर रहने वाले लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है.”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आर्थिक अपराधों का सामना कई लोगों को करना पड़ा है और खासकर जब अपराधी देश के अधिकार क्षेत्र से बाहर चले जाते हैं, तो उन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि भारत ने इस संबंध में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम-2018 के रूप में एक विशेष कानून बनाया है, जिसमें ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसके खिलाफ भारत की किसी भी अदालत द्वारा अनुसूचित अपराध के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़ चुका है; और मुकदमे का सामना करने के लिए स्वदेश लौटने से इनकार कर देता है.
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक विकसित भारत के लिए ऐसा प्रशासनिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की परिकल्पना की है, जिसमें भ्रष्टाचार के प्रति कतई बर्दाश्त न करने वाली नीति हो. उन्होंने कहा, “उनसे (मोदी से) प्रेरणा लेते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता का लक्ष्य भ्रष्टाचार के व्यापक मुद्दे को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक कार्रवाई-उन्मुख कदमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि भ्रष्टाचार निरोधी मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया जा सके और भ्रष्ट लोगों और भ्रष्टाचार का मुकाबला करने की जी20 समूह की प्रतिबद्धता को गहरा किया जा सके.”