DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह साईंबाबा और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष न रखें, जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था. मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा की जाए.

नई दिल्ली: 

सुप्रीम कोर्ट ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को बरी करने के बॉम्बे  हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जीएन साईंबाबा के खिलाफ माओवादी संबंध मामले को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के पास दोबारा भेजा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह साईंबाबा और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष न रखें जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा की जाए.

15 अक्तूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार के दिन विशेष सुनवाई कर कथित माओवादी लिंक मामले में जीएन साईंबाबा और पांच अन्य को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले पर शनिवार को विशेष सुनवाई की और दो घंटे की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी करते हुए आदेश पारित किया था. बेंच ने कहा था कि हमारा दृढ़ मत है कि हाईकोर्ट के निर्णय को निलंबित करने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा था कि इसमें शामिल अपराध बहुत गंभीर प्रकृति के हैं और आरोपियों को सबूतों की विस्तृत समीक्षा के बाद दोषी ठहराया गया था. इस प्रकार, यदि राज्य योग्यता के आधार पर सफल होता है, तो समाज के हित, भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ अपराध बहुत गंभीर हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट ने योग्यता पर विचार नहीं किया है. हाईकोर्ट ने आरोपी को केवल इस आधार पर आरोपमुक्त किया है कि मंजूरी अमान्य थी और कुछ सामग्री जिसे उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष रखा गया था और उसी दिन मंजूरी दी गई थी.

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