इसके अलावा, राज्य में विकलांग बच्चों का धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का भी पर्दाफाश हुआ है। अधिकारी ने बताया कि कानून के अन्य प्रावधानों के तहत पहले भी जबरन धर्मांतरण के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन 27 नवंबर, 2020 को इस अधिनियम के लागू होने के बाद जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कार्रवाई तेज कर दी गई है।
इस कानून के तहत दोषी पाए गए लोगों के लिए 10 साल तक के कारावास का प्रावधान है। इसके अलावा, जबरन धर्मांतरण के दोषी पर 15 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अधिनियम में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं का धर्मांतरण कराने पर तीन से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। कानून के मुताबिक, अगर कोई कपल इंटर-रिलिजन मैरिज की ख्वाहिश रखता है, तो उसे शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा। कानून के अनुसार, यदि विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन करना हो तो ऐसी शादियों को अवैध माना जाएगा।