1947 के बाद पहली बार बहन से मिले सिख भाई, पाकिस्तान पहुंच बन गई मुमताज बीबी

मुमताज बीबी विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गईं और एक सिख परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुस्लिम हो गईं। अब उन्होंने अपने सिख भाइयों से मुलाकात की है और इस दौरान पूरा परिवार बेहद भावुक नजर आया।

भारत विभाजन की दर्दनाक कहानियां आज भी उस दौर में पीड़ित हुए लोग सुनाते रहते हैं। खासतौर पर पंजाब और बंगाल से बड़े पैमाने पर लोगों को अपने घर छोड़कर सीमा के उस पर जाना पड़ा या फिर वहां से भारत आना पड़ा। उस दौरान कई परिवार ऐसे भी थे, जिसके कई सदस्य बिछड़ गए। कोई पाकिस्तान चला गया तो कोई भारत में ही अपने परिवार से बिछड़कर रह गया। ऐसा ही एक मामला मुमताज बीबी का है, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गईं और एक सिख परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुस्लिम हो गईं। अब उन्होंने अपने सिख भाइयों से मुलाकात की है और इस दौरान पूरा परिवार बेहद भावुक नजर आया।

मुमताज बीबी की अपने सिख भाइयों से करतारपुर कॉरिडोर पर मुलाकात हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक बंटवारे के वक्त हिंसा के दौरान उनकी मां की मौत हो गई थी। उस वक्त मुमताज बीबी दो या तीन साल की ही थीं और वह अपनी मां के शव के पास बैठी रो रही थीं। इस दौरान मुहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी अल्लाह रक्खी ने बच्ची को देखा तो गोद ले लिया। बंटवारे के बाद इकबाल बच्ची को शेखुपुरा जिले में स्थित अपने घर ले आए। यही नहीं इकबाल और उनकी पत्नी ने मुमताज को कभी यह नहीं बताया कि वह उनकी सगी बेटी नहीं है। दो साल पहले इकबाल की जब अचानक तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने बताया कि वह उनकी सगी बेटी नहीं हैं बल्कि एक सिख परिवार की बेटी हैं।

सोशल मीडिया के जरिए शुरू की परिवार की तलाश

इकबाल की मौत के बाद मुमताज और उनके बेटे शहबाज को अपने असली परिवार के बारे में जाने की इच्छा हुई। दोनों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी कोशिशें शुरू कीं। उन्हें मुमताज के असली पिता और पंजाब के पटियाला स्थिति सिदराणा गांव का नाम याद था। इसके बाद दोनों परिवार सोशल मीडिया के जरिए जुड़ गए। इसके बाद दोनों ओर से मिलने की इच्छा हुई और मुमताज बीबी के भाई गुरमीत सिंह, सरदार नरेंद्र सिंह और सरदार अमरिंदर सिंह अपने परिवार के लोगों के साथ करतारपुर कॉरिडोर पहुंचे और बहन से मुलाकात की। इस दौरान पूरा परिवार भावुक नजर आया। हालांकि दोनों परिवारों के बीच बड़ा अंतर यह था कि मुमताज अब मुस्लिम हो चुकी हैं तो भारत में रह रहे भाई अब भी सिख ही हैं।

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