शिवपाल मैनपुरी में सपा के स्टार प्रचारक नंबर 7, अखिलेश से बन गई बात या भाजपा के दांव की काट?

मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव के लिए अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शिवपाल का नाम शामिल किया गया है। सपा ने मैनपुरी मे डिंपल को उतारा है।

मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव के लिए अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शिवपाल यादव का भी नाम शामिल किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चाचा-भतीजे यानी अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच बात बन गई है। चुनाव आयोग को भेजी गई लिस्ट में 40 लोगों का नाम है। सबसे ऊपर अखिलेश यादव और सातवें नंबर पर शिवपाल यादव हैं। इससे पहले रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव में शिवपाल को प्रचारकों की लिस्ट से बाहर रखा गया था।

मैनपुरी में अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल को प्रत्याशी बनाया है। डिंपल ने सोमवार को ही नामांकन दाखिल कर दिया है। डिंपल के सामने भाजपा ने रघुराज शाक्य को उतारा है। रघुराज शाक्य कभी शिवपाल के बेहद करीबी माने जाते थे। सपा के टिकट पर सांसद और विधायक रहे रघुराज शाक्य भी उस समय सपा से अलग हुए थे जब शिवपाल ने नाता तोड़ा था। इसी साल रघुराज ने भाजपा ज्वाइन की थी।

भाजपा ने रघुराज शाक्य को मैदान में उतारकर शिवपाल के समर्थकों को अपनी तरफ करने का दांव भी खेला है। शिवपाल को स्टार प्रचारक बनाने के पीछे भाजपा के दांव को काटने की रणनीति भी मानी जा रही है। अब शिवपाल के स्टार प्रचारक बनने से उनके समर्थक डिंपल के साथ जुड़े रह सकते हैं।

परिवार में एकजुटता के दावों पर उठे सवाल

लोकसभा उपचुनाव के लिए मुलायम सिंह यादव के परिवार में एकजुटता के दावों पर खुद शिवपाल ने सवाल खड़े कर दिए हैं। सोमवार को नामांकन से पहले सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि शिवपाल यादव से पूछकर ही प्रत्याशी तय किया गया है। लेकिन शिवपाल की गैरमौजूदगी रही। ऐसे में माना जा रहा था कि शिवपाल की नाराजगी अभी खत्म नहीं हुई है।

रघुराज शाक्य को उतारना भाजपा का बड़ा दांव 

डिंपल के खिलाफ रघुराज शाक्य को मैदान में उतारने को भाजपा के बड़े दांव के रूप में देखा जा रहा है। मैनपुरी में यादव के बाद सबसे ज्यादा शाक्य की संख्या है। इस गणित को देखते हुए ही अखिलेश यादव ने पिछले ही हफ्ते सपा जिलाध्यक्ष के पद से यादव को हटाकर शाक्य को जिम्मेदारी सौंपी थी। भाजपा ने भी शाक्य नेता को उतारकर एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है। रघुराज शाक्य एक समय शिवपाल यादव के बेहद करीबी माने जाते थे। भाजपा नेताओं का मानना है कि शिवपाल की नाराजगी के कारण शाक्य के साथ यादव मतों का भाजपा प्रत्याशी की तरफ झुकाव हो सकता है।

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