देश में अशांति फैलाने की सजा भी मिलनी चाहिए, SC की टिप्पणी के बाद नूपुर शर्मा पर अखिलेश यादव का हमला

पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा के बयान और देश भर में बवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला किया है। उन्होंने नूपुर शर्मा को सजा की मांग कर दी है।

भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने विपक्षी दलों के नेताओं को एक बार फिर भाजपा पर हमले का मौका दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को टीवी पर आकर देश से माफी मांगने की बात कही है। यह भी कहा कि नूपुर शर्मा के बयान से देश में अशांति फैली है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नूपुर शर्मा के साथ ही भाजपा पर तीखा हमला किया। अखिलेश ने कहा कि सिर्फ मुख को नहीं शरीर को भी माफी मांगनी चाहिए और देश में अशांति और सौहार्द बिगाड़ने की सजा भी मिलनी चाहिए।

अखिलेश यादव इससे पहले भी नूपुर शर्मा को लेकर भाजपा पर कई हमले कर चुके हैं। कुछ दिनों पहले अखिलेश ने अखिलेश ने नूपुर शर्मा को भाजपा से निलंबित किये जाने की कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। नूपुर के निलंबन को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह से जोड़ते हुए अखिलेश ने कहा था कि बीजेपी नूपुर शर्मा पर सिर्फ निलंबन की दिखावटी कार्रवाई न करे बल्कि कानूनी कदम उठाए।

उन्होंने यह भी कहा था कि विवादित बयान पर बीजेपी से निलंबन तो उनका (दयाशंकर सिंह) भी हुआ था, जो आज उप्र की बीजेपी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं। गौरतलब है कि दयाशंकर सिंह ने मायावती को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उनका भी निलंबन हुआ था।

मायावती भी हमलावर
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अखिलेश के साथ ही मायावती ने भी भाजपा पर हमला किया। मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टप्पिणी उन सभी के लिये जरूरी सबक है जो देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंककर अपनी राजनीति चमका रहे हैं।

मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नूपुर शर्मा के विरुद्ध आज लिए गए सख़्त स्टैण्ड और अपने भड़काऊ बयान से देश को हिंसक माहौल में झोंकने हेतु उनसे माफी मांगने का निर्देश उन सभी के लिए ज़रूरी सबक है जो देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंककर अपनी राजनीति चमका रहे हैं।

उन्होने कहा कि साथ ही, नफरती भाषण के लिए नूपुर शर्मा के विरुद्ध एफआईआर होने के बावजूद पुलिस द्वारा उनके प्रति निष्क्रिय रवैये का भी मा. कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने से संभव है कि आगे इस प्रकार की प्रवृति पर थोड़ा रोक लगे।

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