त्रिपुरा के मूल निवासियों की मांग को लेकर वार्ताकार नियुक्त कर सकते हैं अमित शाह, टिपरा मोथा प्रमुख ने कही ये बात

टिपरा मोथा के तेजी से उदय ने अगले साल होने वाले आम चुनावों को लेकर बीजेपी खेमे की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में इस पार्टी को बीजेपी के गठबंधन नेटवर्क के भीतर लाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

अगरतला: 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए संवैधानिक समाधान की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है. त्रिपुरा के पूर्व शाही और टिपरा मोथा (Tipra Motha) के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मा (Pradyot Kishor Manikya Debburma) ने अमित शाह से मुलाकात के बाद एक ट्वीट करके इसकी जानकारी दी. देबबर्मा और अमित शाह के साथ इस बैठक में जेपी नड्डा और नए मुख्यमंत्री माणिक साहा भी शामिल हुए.

प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने ट्वीट किया, ‘गृहमंत्री ने त्रिपुरा के मूल निवासियों के संवैधानिक समाधान की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया के लिए एक वार्ताकार नियुक्त किया जाएगा. यह काम एक विशिष्ट समय सीमा के अंदर होगा.’

पार्टी के सूत्रों ने कहा कि टिपरा मोथा वास्तव में सरकार में तब तक शामिल नहीं होंगी, जब तक कि संवैधानिक समाधान की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती. गृह मंत्रालय जल्द ही वार्ताकार की घोषणा करेगा. सूत्रों ने बताया कि यह बातचीत ईएनपीओ (ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन) के साथ नागालैंड में हुई बातचीत की तर्ज पर होगी.

प्रभावशाली आदिवासी आधारित टीएमपी, जो संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को ग्रेटर टिपरालैंड राज्य या एक अलग राज्य देकर एक पूर्ण राज्य बनाने की मांग कर रहा है, पहली बार त्रिपुरा विधानसभा चुनाव लड़ा और 13 सीटें हासिल कीं. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही टीएमपी ने 16 फरवरी को हुए चुनाव में 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

हालांकि, बीजेपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य के विभाजन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. बीजेपी के नेतृत्व ने त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद को अधिक विधायी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियां देने की इच्छा जाहिर की है. त्रिपुरा जनजातीय परिषद फिलहाल राज्य में आदिवासी समुदायों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में मामलों को देखती है.

सूत्रों ने संकेत दिया है कि टिपरा मोथा के तेजी से उदय ने अगले साल होने वाले आम चुनावों को लेकर बीजेपी खेमे की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में इस पार्टी को बीजेपी के गठबंधन नेटवर्क के भीतर लाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

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