पीएम मोदी ने विकासशील देशों में उच्च ऋण के खतरों से किया आगाह

प्रधानमंत्री मोदी ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपनी चर्चा को दुनिया के सबसे कमजोर नागरिकों पर केंद्रित करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक आर्थिक नेतृत्व केवल एक समावेशी एजेंडा बनाकर फिर से दुनिया का भरोसा जीत सकता है

नई दिल्ली: 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को जी-20 देशों से दुनिया के सबसे कमजोर नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करते हुए कुछ विकासशील देशों के सामने असहनीय कर्ज के खतरे को रेखांकित किया. उन्होंने जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की दो दिवसीय बैठक की शुरुआत में एक वीडियो संदेश में कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की तेजी से सुधार लाने में अक्षमता के कारण उनके प्रति विश्वास कम हुआ है.

उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव का जिक्र किया लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई सीधा संदर्भ नहीं दिया. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अभी भी महामारी के बाद के प्रभावों और व्यापक भू-राजनीतिक तनावों के असर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन घटनाक्रमों ने कई देशों की वित्तीय व्यवहार्यता को खतरे में डाल दिया है.

भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 के पहले बड़े कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘यह अब आप (जी-20 के सदस्य देशों) पर निर्भर करता है जो दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं और मौद्रिक प्रणालियों के संरक्षक हैं कि वे वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता, भरोसा और वृद्धि वापस लाएं. यह आसान काम नहीं है.”

महामारी और उच्च ऋण के कारण श्रीलंका और पाकिस्तान सहित भारत के आस पड़ोस के देश दिवालियापन की ओर जा रहे हैं. वे अब ऋण के पुनर्गठन के लिए वैश्विक ऋण देने वाले संस्थानों के दरवाजे खटखटा रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि जी-20 भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता से प्रेरणा लेगा और वैश्विक परिदृश्य पर स्थिरता, भरोसा और वृद्धि को वापस लाने की दिशा में काम करेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन और उच्च ऋण स्तर जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया. भारत ने पिछले साल दिसंबर में विकसित और विकासशील देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता संभाली थी. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि प्रतिभागी भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता से प्रेरणा लेंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय उपभोक्ता और उत्पादक भविष्य को लेकर आशावादी और आश्वस्त हैं. हमें उम्मीद है कि आप वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसी सकारात्मक भावना को प्रसारित करने में सक्षम होंगे.”

प्रधानमंत्री मोदी ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपनी चर्चा को दुनिया के सबसे कमजोर नागरिकों पर केंद्रित करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक आर्थिक नेतृत्व केवल एक समावेशी एजेंडा बनाकर फिर से दुनिया का भरोसा जीत सकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी जी-20 अध्यक्षता का विषय इस समावेशी दृष्टिकोण-एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य को बढ़ावा देता है.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की जनसंख्या आठ अरब को पार कर चुकी है लेकिन ऐसा लग रहा है कि सतत विकास लक्ष्यों को लेकर प्रगति धीमी पड़ रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें जलवायु परिवर्तन और उच्च ऋण स्तर जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है.”

वित्त की दुनिया में प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभुत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि कैसे डिजिटल भुगतान ने महामारी के दौरान संपर्क रहित और निर्बाध लेनदेन को सक्षम किया.

उन्होंने जी-20 के सदस्य प्रतिभागियों से डिजिटल वित्त में अस्थिरता और दुरुपयोग के संभावित जोखिम को विनियमित करने के लिए मानकों को विकसित करते समय प्रौद्योगिकी की शक्ति का पता लगाने और उसका उपयोग करने का आग्रह किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में एक अत्यधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और प्रभावी सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को एक मुक्त सार्वजनिक वस्तु के रूप में विकसित किया गया है.”

उन्होंने रेखांकित किया कि इसने देश में शासन, वित्तीय समावेशन और जीवन की सुगमता को मौलिक रूप से बदल दिया है.

यह देखते हुए कि बैठक भारत की प्रौद्योगिकी राजधानी बेंगलुरु में हो रही है, उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को प्रत्यक्ष अनुभव मिल सकता है कि भारतीय उपभोक्ताओं ने डिजिटल भुगतान को कैसे अपनाया है.

उन्होंने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान बनाई गई नयी प्रणाली के बारे में भी बताया जो जी-20 मेहमानों को भारत के यूपीआई का उपयोग करने की अनुमति देता है.

उन्होंने कहा, ‘‘यूपीआई जैसे उदाहरण कई अन्य देशों के लिए भी आदर्श हो सकते हैं. हमें दुनिया के साथ अपने अनुभव साझा करने में खुशी होगी और जी-20 इसके लिए एक माध्यम हो सकता है.”

भारत की अध्यक्षता में शुक्रवार से शुरू हुई पहली बड़ी जी-20 बैठक के दौरान वैश्विक ऋण कमजोरियों, यूरोप में चल रहे युद्ध से विश्व अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम और महामारी के फिर उभरने की आशंकाओं के साथ-साथ आईएमएफ और विश्व बैंक सुधारों पर चर्चा की जाएगी.

क्रिप्टो मुद्राओं के विनियमन के लिए वैश्विक ढांचे से संबंधित मुद्दे जिन पर गुरुवार को जी-20 देशों के वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों द्वारा पहले ही विचार-विमर्श किया जा चुका है, मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान भी उठ सकते हैं.

बैठक में जी-20 के सदस्यों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर, आमंत्रित सदस्य और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भाग लेंगे.

कुल मिलाकर, बैठक में भाग लेने वाले 72 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल होगा। जी-20 की अध्यक्षता भारत ऐसे समय में कर रहा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था साल भर चले रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से जूझ रही है.

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