रायपुर : संवरा नन्ही कृषिका का बचपन: कुपोषण से मिली आजादी

गर्म पौष्टिक आहार स्वाद के साथ सेहत भी प्रदान करते हैं, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन देने की शुरूआत की गई है। अभियान का सकारात्मक असर महिलाओं और बच्चों की पोषण की स्थिति में सुधार के रूप में देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे कुपोषण से बाहर आ रहे हैं। योजना के अंतर्गत कोरबा जिले के आंगनबाड़ी केन्द्र जूनापारा में सवा दो साल की नन्ही बालिका कृषिका अब कुपोषण से आजाद हो गई है।

जन्म के समय कम वजन की कृषिका अब पोषण स्तर कीे सामान्य श्रेणी में आ गई है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत कृषिका को आंगनबाड़ी के माध्यम से पौष्टिक रेडी-टू-ईट भोजन दिया गया। साथ ही पौष्टिक चिक्की और अण्डे भी दिये गये। आंगनबाड़ी में दिए गए स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सलाह से कृषिका कुपोषण से मुक्त हो चुकी हैं।

बालिका कृषिका कम खाने व देखभाल में कमी होने के कारण कमजोर हो गई थी। जिसके कारण उसका पोषण स्तर मध्यम कुपोषित श्रेणी में आ गया था। आंगनबाड़ी में कृषिका का वजन लिया गया तब छह किलो 800 ग्राम था और लंबाई 84.3 से.मी. थी, जो उसके उम्र के अनुसार मध्यम कुपोषित स्तर को बताता था। इसे देखते हुए कृषिका के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्ची को जोड़ा गया। उसे आंगनबाड़ी केन्द्र में पौष्टिक गरम भोजन चावल, रोटी, दाल, दो सब्जी, आचार, पापड़, सलाद, गुड, अण्डे, चिक्की दिया गया। आंगनबाड़ी के माध्यम से लगातार पौष्टिक आहार मिलने से कृषिका के पोषण स्तर में सुधार होने लगा। मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर में उसका स्वास्थ्य जांच भी कराया गया और दवाई भी दिया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित गृह भ्रमण कर स्वच्छता एवं पोषण के संबंध में कृषिका के माता-पिता को जागरूक कर गरम भोजन के लिए बच्चे की आंगनबाड़ी केन्द्र में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की गई। लगातार अच्छे पौष्टिक आहार मिलने से कृषिका का वजन 27 माह में 9.7 किलोग्राम हो गया और उसका पोषण स्तर सामान्य हो गया। अब कृषिका स्वस्थ्य एवं कुपोषण मुक्त हो गई है।

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