रायपुर : धुर नक्सल पीड़ित गांव पायतुलगुट्टा ने शुरू की कुपोषण से जंग

नक्सल प्रभाव के कारण वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे कई क्षेत्र अब विपरीत और कठिन परिस्थितियों के बावजूद आगे बढ़ने लगे हैं। अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित दूरस्थ इलाकों के लोगों तक सुविधाएं पहुचांने की बड़ी चुनौती अब राज्य सरकार के दृढ़ निश्चय और मैदानी अमलों के हौसलों के आगे आसानी से हल होने लगी है। इसका एक उदाहरण सुकमा जिले के कोण्टा विकासखण्ड के नक्सल प्रभावित ग्राम पायतुलगुट्टा में आंगनबाड़ी केन्द्र की शुरूआत के रूप में सामने है। यहां के निवासियों को अशिक्षा, पिछड़ेपन की वजह से कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ा है, जिसमें कुपोषण भी एक मुख्य समस्या बनकर उभर आई। कुपोषण से बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तुलना में कम हो जाता है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने के संकल्प से सुदूर क्षेत्रों के महिलाआंे और बच्चों को सुपोषित बनाने की शुरू हुई मुहिम वरदान साबित हुई है। इसके परिणामस्वरूप नक्सलवाद से पीड़ित ग्राम पायतुलगुट्टा भी अब कुपोषण से भी जंग लड़ने लगा है।

वर्ष 2019 में एकीकृत महिला बाल विकास परियोजना कोन्टा के अन्तर्गत सेक्टर किष्टाराम 01 के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र पायतुलगुट्टा आंगनबाड़ी केन्द्र खुला। धुर नक्सल क्षेत्र होने के कारण कार्यकर्ता मिलना भी कठिन था, लेकिन वर्ष 2020 के जून में कार्यकर्ता सुश्री तोडेम पार्वती की नियुक्ति के बाद केन्द्र संचालित होना शुरू हो गया। अब क्षेत्र के महिलाओं और बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तोडेम पार्वती और आंगनबाड़ी सहायिका श्रीमती पायम रूकमणी की मदद से शासन के नियमित टीकाकरण, ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण कार्यक्रम, वजन त्यौहार, पूरक पोषण आहार जैसी सुविधाओं का फायदा मिलने लगा है। गृह भेंट कर कार्यकर्ता और सहायिकाएं लोगों तक शासन की योजनाओं, उचित खाने-पान की जानकारी देने के साथ कुपोषण दूर करने के कई उपाय समझा रही हैं। वर्तमान में केन्द्र में 18 बच्चे 01 गर्भवती एवं 04 शिशुवती महिलाएं पंजीकृत हैं। उन्होंने केन्द्र के 10 कुपोषित बच्चों को मुख्यमंत्री सुपोषण केन्द्र में भर्ती करवाकर सुपोषण की ओर आगे बढ़ाया है।

पायतुलगुट्टा के ग्रामीण बताते हैं कि केन्द्र के नियमित संचालन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्तिं से गांव की कई समस्याओं का समाधान मिल गया है। पहले प्रसव घरों में ही होते थे, महिलाओं और परिवारों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था। अब कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन से समय पर खान-पान में ध्यान देने के साथ गांव वाले इलाज भी कराने लगे हैं। कार्यकर्ता ग्रामवासियों को प्रोत्साहित कर किष्टाराम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण करवाने और गर्भवती महिलाओं को प्रसव हेतु लेकर जाती हैं। राज्य सरकार ने ग्राम पंचायत किष्टाराम में मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर का भी आयोजन किया। शिविर में बच्चों तथा माताओं की जांच के साथ उन्हें विशेष दवाईयों, प्रोटीन पाउडर तथा अन्य निःशुल्क सामग्री वितरण का लाभ मिला।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed