दंतेवाड़ा : कविता भोगामी हमारे नायक बनी

छत्तीसगढ़ राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशानुसार राज्य के विभिन्न माध्यमिक स्तर के शालाओं में 10 दिवसीय बस्ता विहीन विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। जिन्हें नई शिक्षा नीति 2020 में दर्शाया गया है। बिना बस्ता के विद्यार्थियों को रोजगार परक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है, ताकि भविष्य में उन्हें अपना रोजगार चुनने मे सुविधा प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त बच्चे बिना किसी तनाव एवं दबाव के भयमुक्त होकर स्वतंत्रता पूर्वक खेल-खेल में कोई नया कार्य सीख पा रहे हैं। जो भविष्य में उनका जीवन संवारने में मददगार साबित होगा। बस्ता विहीन स्कूल थीम को मूर्त रुप देने के लिए माध्यमिक शाला आंवराभाटा की शिक्षिका श्रीमती कविता भोगामी ने अपने विद्यालय में बेहतरीन कार्य किए हैं। इस कार्य में उन्हें विद्यालय की प्रधान अध्यापिका श्रीमती जयश्री चौहान एवं अन्य शिक्षक/शिक्षिकाओं का सहयोग प्राप्त हुआ है। बस्ता विहीन पूर्व व्यावसायिक शिक्षा अंतर्गत कविता के बच्चों के साथ किए गए उत्कृष्ट कार्य इस प्रकार है- कसीदाकारी अंतर्गत श्रीमती भोगामी स्वयं कढ़ाई-बुनाई के कार्यों में पारंगत है। उन्होंने विद्यालय की बच्चियों को कसीदाकारी सिखाया है। जिसे बच्चियों ने रूचि पूर्वक सीखा है। आज कल ’’सिंगल यूस पालीथीन’’ बैग्स के उपयोग को कम या बंद करने के लिए अनेक मुहिम चलाई जा रहीं हैं इससे न केवल हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है बल्कि हमारे पशुधन को भी हानि पहुंच रही है। कविता ने बच्चों को पुराने अनुपयोगी कपड़ों, अखबार एवं कैलेंडर्स से बैग्स बनाना सिखाया है। उन्होंने अपनी प्रधान अध्यापिका साथी शिक्षिकाओं, विद्यार्थियों एवं शा.हाई स्कूल की शिक्षिकाओं के साथ रैली निकाल कर हाट-बाजार एवं दुकानों में जाकर ’’सिंगल यूस पालीथीन’’से होने वाले हानियों को बताकर इसका प्रयोग कम करने एवं कपड़े या पेपर बैग्स का उपयोग अधिकाधिक करने का निवेदन किया है। उन्होंने रंगीन पेपर्स से बच्चों को बेहद खूबसूरत फूल, वाल हेंगर्स, ग्रीटिंग कार्डस, फ्लावर वास आदि बनाना सिखाया है। कविता भोगामी के मार्गदर्शन में बच्चों ने मूर्तिकला भी सीखा है। कुछ बच्चो ने सुंदर मूर्तियां भी बनाई हैं। कविता ने उन्हे रंगों का चयन एवं काम्बिनेशन किस तरह करना चाहिए इस पर मार्गदर्शन दिया है। कविता ने अनउपयोगी बाटल, टायर्स एवं अन्य वस्तुओं के प्रयोग से विभिन्न सुंदर आकृतियां बनाकर उनमें साग-सब्जियों के या फूलों के पौधे रोपकर बगीचे को सजाना सिखाया है। इनके ब्लॉग को श्रीमती टी.विजयलक्ष्मी व्याख्याता-जीवविज्ञान शा.उ.मा.वि.दंतेवाड़ा (छ.ग.) के द्वारा लिखा गया है। जिला दंतेवाड़ा के शिक्षकों, विद्यार्थियों को निरंतर सी जी स्कूल पोर्टल में हमारे नायक में स्थान मिल रहा है।

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