बलरामपुर में ग्रामीणों ने 3 SDO और 2 सब इंजीनियर को लात-घूंसों से पीटा
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में ग्रामीण अभियंत्रिकी सेवा (RES) के अफसरों को बंधक बनाकर ग्रामीणों ने लात-घूंसों से जमकर पीटा। इस दौरान एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE) जान बचाकर भाग निकले। किसी तरह अफसरों ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद ग्रामीणों से छुड़ाकर सभी को थाने लाया गया। हालांकि अफसर इसके बाद भी FIR दर्ज कराने को तैयार नहीं है। अफसर वहां पुलिया निर्माण की जांच करने के लिए पहुंचे थे।
राजपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत करजी में पंचायत ने 15 लाख रुपए से पुलिया निर्माण कराया था। इसमें स्थानीय ग्रामीणों ने मजदूरों के रूप में काम किया। काम पूरा होने के बाद RES ने आधा पेमेंट 7.5 लाख रुपए का ही किया। जांच में पुलिया निर्माण को घटिया बताया और SDO अवधेश प्रजापति ने बाकी भुगतान पर रोक लगा दी। इसके चलते ग्रामीणों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका।
नए SDO ने पेमेंट सेंक्शन किया: करीब 6 माह पहले SDO अवधेश प्रजापति का तबादला हुआ, लेकिन वह अपनी कुर्सी छोड़कर गए ही नहीं। इस बीच नए SDO धर्मेंद्र गुप्ता आ गए। उन्होंने काम का सत्यापन किया और पेमेंट सेंक्शन कर दिया। इसके बाद भुगतान का प्रोसेस शुरू हो गया। इससे पहले कि ग्रामीणों को भुगतान हो पाता, खबर आई कि निर्माण कार्य घटिया है। इसके चलते जांच के आदेश हो गए और कार्यपालन अभियंता के नेतृत्व में 5 सदस्यीय एक समिति का गठन कर दिया गया।
जांच के लिए पहुंचे तो ग्रामीणों ने घेर लिया, जमकर पीटा:- समिति में कार्यपालन अभियंता जितेंद्र देवांगन, दोनों SDO अवधेश प्रजापति व धर्मेंद्र गुप्ता, दूसरे जोन के SDO जानू सुलेमानी, सब इंजीनियर तनुत अंबस्ट और सुनील टोप्पो शामिल हैं। सभी बुधवार को जांच के लिए गांव में पहुंचे। अभी अफसर जांच कर रहे थे कि ग्रामीणों ने घेर लिया और लात-घूंसों से पीटने लगे। इस दौरान EE जितेंद्र देवांगन सरकारी गाड़ी में भाग निकले। इसके बाद अन्य अफसरों ने पुलिस को सूचना दी तो जान बची।
अफसर FIR दर्ज कराने से बच रहे: पुलिस अफसरों को थाने ले आई। तहसीलदार भी पहुंच गए, लेकिन मामला दर्ज नहीं हो रहा। अफसर ही इसके लिए तैयार नहीं है। वहीं सरपंच संजय कुमार का कहना है कि अधिकारी पेमेंट नहीं कर रहे हैं। पंचायत को पैसे नहीं मिला तो भुगतान नहीं हुआ। सरपंच का आरोप है कि भुगतान के लिए रुपयों की मांग की गई। उनके पास इसके सबूत भी हैं। अफसर FIR दर्ज कराएंगे तो वह सबूत पेश करेंगे। माना जा रहा है कि इसी के चलते अफसर FIR से बच रहे हैं।