बिलासपुर : विशेष लेख : आदिवासियों के उत्थान में छत्तीसगढ़ राज्य अव्वल
छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोग बड़ी संख्या में निवासरत है. राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की सख्ंया एक तिहाई से अधिक है. अनुसूचित जनजाति के लोग राज्य में शहरी पृष्ठभूमि से अलग दूरस्थ अंचलों तथा वनों में निवास करते है और इनका जीवन प्रायः वनोपज पर निर्भर रहता है. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोगों का सामाजिक न्याय, दिलाने, आमदनी बढ़ाने, स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीने की दिशा में बहुत कार्य शुरू किये है. इन वर्गाें के कल्याण और उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे है.
प्रदेश में वनभूमि में निवासरत तथा वनभूमि पर किये जा रहे कृषि कार्य वाली जमीन को वास्तविक नाप कर वन अधिकार पट्टे प्रदान किये गये है और आगे भी यह कार्य निरंतर जारी है। वन अधिकर पट्टो का वितरण और भूमि आबंटन में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल है। अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 एवं 2007 और संशोधित 2012 के तहत् निरस्त कियेे गये वन अधिकार दावों की समीक्षा करते हुए पात्र हितग्राहियों को पट्टा वितरण का कार्य निरंतर जारी है। सामुदायिक वन अधिकार पट्टों को प्रदान करने के प्रावधानों को भी राज्य में लागू किया गया है।
राज्य शासन की ओर से प्रदान किये गये वन अधिकार पट्टों से वन क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) परिवार अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और इसकी खुशी उनके चेहरे पर देखी जा सकती है. बहुत से क्षेत्रों के वन अधिकार पट्टा प्राप्त करने वाले किसानों ने धान की खेती करके धान बिक्री पर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे है तथा धान के अलावा अन्य फसलों से भी अपनी आय में वृद्धि कर रहें है।
प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग (आदिवासी) के लोगों को तेन्दूपत्ता संग्रहण से अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है. तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर पूरे देश में सर्वाधिक छत्तीसगढ़ राज्य में है. यह दर राज्य में 4 हजार रूपये मानक बोरा है. तेन्दूपत्ता संग्रहण में पंजीकृत संग्राहक परिवार के मुखिया जिस की आयु 50 वर्ष से अधिक नहीं होने की स्थिति में सामान्य मृत्यु होने पर मुखिया द्वारा नामांकित व्यक्ति अथवा उसके उत्तराधिकारी को 2 लाख रूपये की अनुदान सहायता राशि भुगतान किये जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया की दुर्घटना में मृत्यु होने पर उत्तराधिकारी को 2 लाख रूपये अतिरिक्त प्रदान किये जायेंगे. तेन्दुपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया की 50 से 59 वर्ष की आयु के बीच सामान्य मृत्यु होने पर 30 हजार रूपये, दुर्घटना मृत्यु पर 75 हजार रूपये, पूर्ण विकलांगता पर 75 हजार रूपये और आंशिक विकलांगता पर 37 हजार 500 रूपये की सहायता अनुदान राशि मुखिया द्वारा नामांकित व्यक्ति अथवा उत्तराधिकारी को प्राप्त होंगे।