अम्बिकापुर : दिव्यांग को मिला अपने ही गांव में रोजगार

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए शहर आकर काम करना किसी बड़ी चुनौती से कम नही होती और शहर में हर किसी को काम मिले इसकी कोइ गारण्टी भी नही होती। महात्मा गांधी नरेगा ने ग्रामीणों की इस बड़ी चुनौती को गांव में ही अकुशल कार्य में 100 दिन के रोजगार के गारण्टी देकर समाप्त कर दिया है।

सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चठिरमा निवासी श्री रामनंदन पिता श्री शिवप्रसाद उम्र 52 वर्ष जिनके लिए शहर आ कर कार्य ढूढना तो बहुत ही ज्यादा मुश्किल था क्योंकि वे एक पैर से दिव्यांग है जिसके कारण वे मेहनत का काम भी नहीं कर पाते है इसलिए रामनंदन को शहर में कहीं कोई कार्य भी नहीं मिलता था। चठिरमा ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक श्री वीरसाय से रामनंदन को जब पता चला कि मनरेगा के कार्यस्थलों पर 12 वीं तक शिक्षा होने के कारण मेट का कार्य मिल सकता है तो उन्होनें मेट का कार्य करना शुरू किया और वे वर्ष 2015 से अब तक लगातार मनरेगा में कार्य कर रहे है रामनंदन पिछले 4 वित्तीय वर्ष में लगातार 100 दिवस से ज्यादा का कार्य कर चुके है, मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी से होने वाली आय को वह अपने दो बच्चों की पढ़ाई एवं परिवार के भरण पोषण में खर्च करते है तथा बचे हुए पैसे को खेती-बाड़ी में लगाते है।

रामनंदन कहते है मनरेगा से उन्हें अपने घर के पास ही कार्य मिला है। रोजगार गारंटी में वे 100 दिवस का कार्य करते है। उनकी बेरोजगारी को मनरेगा ने दूर किया। श्री वीरसाय रोजगार सहायक बताते है कि ग्राम पंचायत के महात्मा गांधी नरेगा में चलने वाली सभी कार्यों में रामनंदन को प्राथमिकता से कार्य दिया जाता है और वह मेट के साथ-साथ मजदूरों को पानी पिलाने का भी कार्य करते है कारोना काल से रामनंदन कोविड-19 से बचाव हेतु सभी मजदूरों को जागरूक -करते हुए हाथ धुलाने व हमेशा मास्क लगाए रहने की हिदायत भी देते है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *